भारत में सामाजिक और धार्मिक सुधार आंदोलन राष्ट्रवाद तथा लोकतंत्र के तहत स्वतंत्रता के संघर्ष की उत्त्पति हुई| यह संघर्ष आंदोलन के रूप में सामने आई जिसका उद्देश्य सामाजिक संस्थाओं तथा भारतीय जनता के धार्मिक दृष्टिकोण का सुधार करना और उनका लोकतंत्रीकरण करना था|
धार्मिक सुधार
धर्म जनता के जीवन का एक अभिन्न अंग था और धार्मिक सुधार के बिना सामाजिक सुधार भी संभव नहीं था| विचारशील भारतीयों ने विज्ञान, जनतंत्र तथा राष्ट्रवाद की आधुनिक दुनिया की आवश्यकताओं के अनुसार अपने समाज को ढालने की इच्छा लेकर, अपने पारंपरिक धर्मों के सुधार का काम आरम्भ किया|
महाराष्ट्र में धार्मिक सुधार
बंबई प्रांत में धार्मिक सुधार कार्य का आरंभ 1840 ई में परमहंस मंडली ने आरंभ किया| इसका उद्देश्य मूर्तिपूजा तथा जाति-प्रथा का विरोध करना था| पश्चमी भारत के पहले धार्मिक सुधारक संभवत: गोपाल हरी देशमुख थे जिन्हे जनता लोकहितवादी कहती थी| इन्होनें हिंदू कट्टरपंथ पर भयानक बुद्धिवादी आक्रमण किए और धार्मिक तथा सामाजिक समानता का प्रचार किया|
ब्रह्म समाज
राजा राममोहन राय प्रथम भारतीय थे, जिन्होंने सबसे पहले भारतीय समाज में व्याप्त बुराइयों के विरोध में आंदोलन चलाया था| राय जी के नविन विचारों के कारण ही 19वीं शताब्दी के भारत में पुनर्जागरण का उदय हुआ| राजा राममोहन राय को ‘भारतीय पुनर्जागरण का पिता’ , भारतीय राष्ट्रवाद का पैगंबर, अतीत और भविष्य के मध्य सेतु, भारतीय राष्ट्रवाद का जनक, आधुनिक भारत का पिता, प्रथम आधुनिक पुरुष तथा युगदूत कहा गया हैं|
हिन्दू धर्म के एकेश्वरवादी मत का प्रचार करने के लिए 1815 ई में राजा राममोहन राय ने अपने युवा समर्थकों के सहयोग से आत्मीय सभा की स्थापना की| 1828 ई में उन्होंने ब्रह्म सभा के नाम से एक नए समाज की स्थापना की जिसे आगे चलकर ब्रह्म समाज के नाम से जाना गया|
देवेंद्रनाथ टैगोर ने राजा राममोहन के विचारों के प्रसार के लिए 1839 ई में तत्वबोधनी सभा की स्थापना की| हिन्दू धर्म का पहला सुधार आंदोलन ब्रह्म समाज था जिस पर आधुनिक पाश्चात्य विचारधारा का बहुत प्रभाव पड़ा था| मुग़ल बादशाह अकबर द्वितीय II ने राममोहन राय को राजा की उपाधि के साथ अपने दूत के रूप में 1830 ई में तत्कालीन ब्रिटिश सम्राट विलियम चतुर्थ के दरबार में भेजा था|
अकबर द्वितीय ने राय जी को इंग्लैंड के सम्राट के पास अपनी मिलने वाली पेंशन को बढ़ाने पर बातचीत के लिए भेजा था| इंग्लैंड के ब्रिस्टल में ही 27 सितंबर 1833 को राजा राममोहन राय की मृत्यु हो गयी| यही उनकी समाधि स्थापित हैं|
शिक्षा के क्षेत्र में राजा राममोहन राय अंग्रेजी शिक्षा के पक्षधर थे| उनके अनुसार, एक उदारवादी पाश्चात्य शिक्षा ही अज्ञान के अंधकार से हमे निकाल सकती है और भारतियों को देश के प्रशासन में भाग दिला सकती हैं| राजा राममोहन राय ने मूर्ति पूजा, बाल विवाह तथा सती प्रथा जैसी सामाजिक कुरीतियों का विरोध किया था| |
प्रार्थना समाज
प्रार्थना समाज ने एक ईश्वर की पूजा का प्रचार किया तथा धर्म को जाति-प्रथा की रूढ़ियों से और पुरोहितों के वर्चस्व से मुक्त करने का प्रयास किया| संस्कृत के प्रसिद्ध विद्वान् तथा इतिहासकार आर जी भंडारकर और महादेव गोविंद रानाडे(1842-1901) इसके प्रमुख नेता थे| प्रार्थना समाज पर ब्रह्म समाज का गहरा प्रभाव था|
रामकृष्ण परमहंस की भूमिका
रामकृष्ण परमहंस ने इस बात पर जोर दिया था की ईश्वर तक पहुंचने के कई मार्ग हो सकते है| इन्होंने उपासना के सभी रूपों में एक ही परमात्मा की आराधना करते हुए सभी धर्मों की पूजाविधियों में एक ही ईश्वर की खोज की| रामकृष्ण परमहंस की शिक्षाओं की व्याख्या को साकार करने का श्रेय स्वामी विवेकानंद (1863-1902) को हैं| इन्होनें इस शिक्षा का साधारण भाषा में वर्णन किया| रामकृष्ण परमहंस का विवाह 23 वर्ष की आयु में 5 वर्षीय शारदामणि मुखोपाध्याय जिन्हे शारदा देवी के नाम ने जाना जाता है 1859 ई हुआ था|
स्वामी विवेकानंद की भूमिका
स्वामी विवेकानंद इस नवीन हिंदू धर्म के प्रचारक के रूप में उभरे| 1893 ई में शिकागो गए, जहां उन्होंने वर्ल्ड पार्लियामेंट ऑफ रिलिजन ( विश्व धर्म संसद ) में अपना सुप्रसिद्ध भाषण दिया| सुभाष चंद्र बोस ने उनके बारे में कहा था की ” जहां तक बंगाल का संबंध हैं, विवेकानंद को आधुनिक राष्ट्रीय आंदोलन का आध्यात्मिक पिता कहा जाता हैं| रामकृष्ण मिशन की स्थापना स्वामी विवेकानंद ने 1897 ई में की थी|(1909 में सोसाइटी पंजीकरण अधिनियम के अंतर्गत इसे विधिवत औपचारिक रूप से पंजीकृत कराया गया)|
रामकृष्ण मिशन का मुख्यालय कलकत्ता के बेलूर में खोला गया| मिशन का नाम रामकृष्ण परमहंश के नाम पर रखा गया था| यह उन्नीसवीं सदी का अंतिम महान धार्मिक एवं सामाजिक आंदोलन था| इसका उद्देश्य मनुष्य के भीतर की उच्चतम आध्यात्मिकता का विकास करना हैं, किन्तु साथ ही यह हिंदू धर्म में पीछे विकसित मूर्ति पूजा जैसी चीजों की कीमत और उपयोगिता भी स्वीकार करता हैं|
मिशन की दूसरी विशेषता है- सभी धर्मों की सच्चाई में विश्वास| स्वामी विवेकानंद कहा करते थे कि सभी विभिन्न धार्मिक विचार एक ही मंजिल तक पहुंचने के केवल विभिन्न रास्ते हैं|
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Q.1 निम्न महापुरुषों में से कौन भारतीय जागृति का जनक कहलाता हैं?
A) विवेकनंद B) राजा राममोहन राय
C) दयानंद सरस्वती D) रवींद्रनाथ टैगोर
Ans. B
Explain- राजा राममोहन राय को भारतीय पुर्नजागरण का पिता, भारतीय राष्ट्रवाद का पैगंबर, अतीत और भविष्य के मध्य सेतु, भारतीय राष्ट्रवाद का जनक, आधुनिक भारत का पिता, प्रथम आधुनिक पुरुष तथा युगदूत कहा गया|
Q.2 भारतीय पुनर्जागरण आंदोलन के पिता कौन थे?
A) बाल गंगाधर तिलक B) श्रद्धानंद
C) दयानंद सरस्वती D) राजा राममोहन राय
Ans. D
Q.3 राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित प्रथम संस्था थी?
A) ब्रह्म समाज B) ब्रह्म सभा
C) आत्मीय सभा D) तत्वबोधनी सभा
Ans. C
Explain- हिंदू धर्म के एकेश्वरवादी मत का प्रचार करने के लिए 1815 ई में राजा राममोहन राय ने अपने युवा समर्थकों के सहयोग से आत्मीय सभा की स्थापना की| राजा राममोहन राय द्वारा स्थापित यह प्रथम सस्था थी|
Q.4 ब्रह्म समाज की स्थापना कब हुई थी?
A) 1829 ई B) 1828 ई
C) 1831 ई D) 1843 ई
Ans. B
Explain- राजा राममोहन राय ने 20 अगस्त 1828 को ब्रह्म सभा नाम से एक नए समाज की स्थापना की, जिसे आगे चलकर ब्रह्म समाज के नाम से जाना गया|
Q.5 शारदामणि कौन थी?
A) राजा राममोहन राय की पत्नी
B) विवेकानंद की मां
C) रामकृष्ण परमहंस की पत्नी
D) केशवचंद्र सेन की पुत्री
Ans. C
Explain- शारदामणि मुखोपाध्याय जिन्हें शारदा देवी के नाम से जाना जाता हैं, का विवाह 23 वर्षीय रामकृष्ण परमहंश से 5 वर्ष की आयु में 1859 ई में हुआ था|
Q.6 वेदों के पुनरुत्थान का श्रेय किसे हैं?
A) रामानुज B) स्वामी दयानंद सरस्वती
C) स्वामी विवेकानंद D) रामकृष्ण परमहंस
Ans. C
Explain- आर्य समाज के संस्थापक स्वामी दयानंद सरस्वती शुद्ध वैदिक परंपरा में विश्वास करते थे| उन्होनें “वेदों को ओर लौटों” का नाम दिया|
Q.7 निम्न में से कौन भारत का मार्टिन लूथन कहलाता हैं?
A) स्वामी विवेकानंद B) राजा राममोहन राय
C) स्वामी श्रद्धानंद D) स्वामी दयानंद सरस्वती
Ans. D
Q.8 निम्न में से किस व्यक्ति ने सर्वप्रथम स्वराज्य शब्द का प्रयोग किया और हिंदी को राष्ट्रभाषा माना?
A) राजा राममोहन राय B) स्वामी दयानंद सरस्वती
C) स्वामी विवेकानंद D) बाल गंगाधर तिलक
Ans. B
Explain- सर्वप्रथम स्वामी दयानंद सरस्वती ने स्वराज्य शब्द का प्रयोग किया और हिंदी को राष्ट्रभाषा के रूप में स्वीकार किया|
Q.9 प्रार्थना समाज के संस्थापक कौन थे?
A) दयानंद सरस्वती B) राजा राममोहन राय
C) स्वामी सहजानंद D) महादेव गोविन्द रानाडे
Explain- प्रार्थना समाज की स्थापना 1867 ई में बंबई में आचार्य केशवचंद्र सेन की प्रेरणा से आत्माराम पांडुरंग द्वारा की गयी थी| महादेव गोविन्द रानाडे इस संस्था से 1869 में जुड़े तथा इसके मुख्य संचालक बने|
Q.10 निम्न में से किसने प्रमुख रूप से विधवा पुनर्विवाह के लिए संघर्ष किया और उसे क़ानूनी रूप से वैध बनाने में सफलता प्राप्त की?
A) एनी बेसेंट B) ईश्वर चंद्र विद्यासागर
C) एम जी रानाडे D) राजा राममोहन राय
Ans. B
Explain- कलकत्ता के संस्कृत कॉलेज के आचार्य ईश्वर चंद्र विद्यासागर ने विधवा पुनर्विवाह के लिए अथक संघर्ष किया की वेदों में विधवा विवाह को मान्यता दी गयी हैं| इनके प्रयासों के फलस्वरूप 26 जुलाई 1856 को हिंदू विधवा पुनर्विवाह अधिनियम पारित हुआ|
Conclusion |
आशा है की आप इस आर्टिकल को अच्छे समझ गए होंगे और यदि आप के मन में इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल हो तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में msg कर सकते हैं|
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