◾️संविधान सभा की मांग
🔸भारत में संविधान सभा के गठन का विचार वर्ष 1934 में पहली बार एम.एन. राव ने रखा एम. एन. राव भारत में वामपंथी आंदोलन के प्रमुख नेता थे|
1935 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस ने पहली बार भारत के संविधान के निर्माण के लिए आधिकारिक रूप से संविधान सभा के गठन की मांग की|
🔸1938 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस की ओर से पंडित जवाहरलाल नेहरू ने घोषणा की कि स्वतंत्र भारत के संविधान का निर्माण वयस्क मताधिकार के आधार पर चुनी गई,
- संविधान सभा द्वारा किया जाएगा और इसमें कोई बाहरी हस्तक्षेप नहीं होगा|
नेहरू की इस मांग को अंतत: तथा ब्रिटिश सरकार ने सैद्धांतिक रूप से स्वीकार कर लिया|इसे सन 1940 के ‘अगस्त प्रस्ताव’ के नाम से जाना जाता हैं|
🔸1942 में ब्रिटिश सरकार के कैबिनेट मंत्री स्टैफोर्ड क्रिप्स, ब्रिटिश मंत्रिमंडल के एक सदस्य,
- एक स्वतंत्र संविधान के निर्माण के लिए ब्रिटिश सरकार के एक प्रारूप प्रस्ताव के साथ भारत आए| इस संविधान को द्वितीय विश्वयुद्ध के बाद अपनाया जाना था|
क्रिप्स प्रस्ताव को मुस्लिम लीग ने अस्वीकार कर दिया| मुस्लिम लीग की मांग थी कि भारत को दो स्वायत्त हिस्सों में बांट दिया जाए,
- जिनकी अपनी -अपनी संविधान सभा एवं अंतत:, भारत में एक कैबिनेट मिशन को भेजा गया|
🔸इस मिशन में 2 संविधान सभाएँ की मांग को ठुकरा दिया लेकिन उसने ऐसी संविधान सभा के निर्माण की योजना सामने रखी, जिस ने मुस्लिम लीग को काफी हद तक संतुष्ट कर दिया|
◾️ संविधान सभा का गठन
🔸कैबिनेट मिशन योजना द्वारा सुझाए गए प्रस्तावों के तहत नवंबर 1946 में संविधान सभा का गठन हुआ|
संविधान सभा की कुल सदस्य संख्या 389 होनी थी| इनमें से 296 सीटें ब्रिटिश भारत और 93 सीटें देसी रियासतों को आवंटित की जानी थी|
🔸ब्रिटिश भारत को आवंटित की गई 296 सीटों में 292 सदस्यों का चयन 11 गवर्नर के प्रांतों और चार का चयन मुख्य आयुक्तों के प्रांतों ( प्रत्येक में से एक ) से किया जाना था|
हर प्रांत हुआ देसी रियासतों (अथवा छोटे राज्यों के मामले में राज्यों के समूह ) को उनकी जनसंख्या के अनुपात में सीटें आवंटित की जानी थी|
- दूसरे शब्दों में कहा जाए तो प्रत्येक दस लाख लोगों पर एक सीट आवंटित की जानी थी|
🔸प्रत्येक ब्रिटिश प्रांत को आवंटित की गई सीटों का निर्धारण तीन प्रमुख समुदायों के बीच उनकी जनसंख्या अनुपात में किया जाना था|
- यह तीन समुदाय थे – मुस्लिम, सिख व सामान्य ( मुस्लिम और सिख को छोड़कर )|
संविधान सभा के लिए चुनाव 16 अगस्त 1946 में हुआ| (ब्रिटिश भारत के लिए आवंटित 296 सीटों हेतु )
- इस चुनाव में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस को 208, मुस्लिम लीग को 73 तथा छोटे समूह व स्वतंत्र सदस्यों को 15 सीटें मिली|
🔸हालांकि देसी रियासतों को आवंटित की गईं 93 सीटें भर नहीं पाई क्योंकि उन्होंने खुद को संविधान सभा से अलग रखने का निर्णय लिया|
◾️ संविधान सभा की कार्यप्रणाली
🔸संविधान सभा की पहली बैठक 9 दिसंबर, 1946 को हुई| मुस्लिम लीग ने बैठक का बहिष्कार किया और पाकिस्तान की मांग पर बल दिया|
इसलिए बैठक में केवल 211 सदस्यों ने हिस्सा लिया| फ्रांस की तरह इस सभा के सबसे वरिष्ठ सदस्य सच्चिदानंद सिन्हा को सभा का अस्थायी से चुना गया|
🔸बाद में डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद संविधान सभा के अध्यक्ष निर्वाचित हुए|
- उसी प्रकार डॉ. एच.सी. मुखर्जी तथा वी. टी. कृष्णामचारी सभा के उपाध्यक्ष निर्वाचित हुए| संविधानसभा के दो उपाध्यक्ष थे|
◾️उद्देश्य प्रस्ताव
🔸13 दिसंबर 1946 को पंडित नेहरू ने सभा में ऐतिहासिक ‘उद्देश्य प्रस्ताव’ पेश किया| इसमें संवैधानिक संरचना के ढांचे एवं दर्शन की झलक थी|
संविधान सभा भारत को एक स्वतंत्र, संप्रभु गणराज्य घोषित करती है तथा अपने भविष्य के प्रशासन को चलाने के लिए एक संविधान के निर्माण की घोषणा करती है|
🔸इस प्रस्ताव को 22 जनवरी 1946 को सर्व सम्मति से स्वीकार कर लिया गया|
- इसने संविधान के स्वरूप को काफी हद तक प्रभावित किया इसके परिवर्तन रूप से संविधान की प्रस्तावना बनी|
◾️स्वतंत्रता का अधिनियम द्वारा परिवर्तन
🔸संविधान सभा से खुद को अलग रखने वाले देसी रियासतों के प्रतिनिधि धीरे-धीरे इसमें शामिल होने लगे|
- 28 अप्रैल 1947 को 6 राज्यों के प्रतिनिधि सभा के सदस्य बन चुके थे|
3 जून 1947 को भारत के बंटवारे के लिए पेश की गई माउंटबेटन योजना को स्वीकार करने के बाद
- अन्य देशी रियासतों के ज्यादातर प्रतिनिधियों ने सभा में अपनी सीटें ग्रहण करें भारतीय हिस्से की मुस्लिम लीग के सदस्य भी सभा में शामिल हो गए|
🔸संविधान सभा एक विधायिका भी बन गई| दूसरे शब्दों में कहा जाए तो सभा को दो अलग -अलग काम सौंपे गए|
- इसमें से एक – स्वतंत्र भारत के लिए संविधान बनाना तथा दूसरा- देश के लिए आम कानून लागू करना |
इन दोनों कार्यों को अलग-अलग दिन करना था| इस प्रकार संविधान सभा स्वतंत्र भारत की पहली संसद बनी|
- जब भी सभा की बैठक संविधान सभा के रूप में होती, इसकी अध्यक्षता डॉ राजेंद्र प्रसाद करते और बैठक बतौर विधायिका होती तब इसकी अध्यक्षता जी.वी. मावलंकर करते थे|
🔸संविधान सभा 26 नवंबर 1949 तक इन दोनों रूपों में कार्य करती रही| इस समय तक संविधान निर्माण का कार्य पूरा हो चुका था|
◾️अन्य कार्य
🔸 इसने मई 1949 में राष्ट्रमंडल में भारत की सदस्यता का सत्यापन किया|
🔸 इसने 22 जुलाई 1947 को राष्ट्रीय ध्वज को अपनाया|
🔸 इसने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गान को अपनाया|
🔸 इसने 24 जनवरी 1950 को राष्ट्रीय गीत को अपनाया|
🔸 इसने 24 जनवरी 1950 को डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना|
2 साल 11 माह और 18 दिनों में संविधान सभा की कुल 11 बैठक एवं संविधान निर्माताओं ने लगभग 60 देशों के संविधानों का अवलोकन किया और इसके प्रारूप पर 114 दिनों का विचार हुआ|
- संविधान के निर्माण पर कुल 64 लाख रुपए का खर्च आया|
🔸24 जनवरी 1950 को संविधान सभा की अंतिम बैठक हुई| उसके बाद सभा ने 26 जनवरी 1950 से 1951-52 में हुए आम चुनावों के बाद बनने वाली नई संसद के निर्माण तक भारत की अंतरिम संसद के रूप में काम किया|
◾️संविधान सभा की समितियां
संविधान सभा ने संविधान के निर्माण से संबंधित विभिन्न कार्यों को करने के लिए कई समितियों का गठन किया| इनमें से 8 बड़ी समितियां थी तथा अन्य छोटी|
◾️8 बड़ी समितियां
1. संघ शक्ति समिति – जवाहरलाल नेहरू
2. संधीय संविधान समिति – जवाहरलाल
3. प्रांतीय संविधान समिति – सरदार पटेल
4. प्रारूप समिति – डॉ. बी. आर. अंबेडकर
5. मौलिक अधिकारों, अल्पसंख्यकों एवं जनजातियों तथा बहिषकृत क्षेत्रों के लिए सलाहकार समिति (परामर्शदाता समिति)- सरदार पटेल
इस समिति के अंतर्गत निम्नलिखित पांच उप समितियां थी
क. मौलिक अधिकार उप समिति – जेबी कृपलानी
ख. अल्पसंख्यक उप समिति – एचसी मुखर्जी
ग. उत्तर- पूर्व सीमांत जनजातीय क्षेत्र असम को छोड़कर तथा आंशिक रूप से छोड़े गए क्षेत्र के लिए उप-समिति – गोपीनाथ बोर्दोलोई
घ. छोड़े गए एवं आंशिक रूप से छोड़े गए क्षेत्रों (असम में सिंचित क्षेत्रों के अलावा ) के लिए उप-समिति – ए.वी. ठक्कर
ड. उत्तर-पश्चिम फ्रटियर जनजाति क्षेत्र उप-समिति
6. प्रक्रिया नियम समिति – डॉ राजेंद्र प्रसाद
7. राज्यों के लिए समिति (राज्यों से समझौता करने वाली) – जवाहरलाल नेहरू
8. संचालन समिति – डॉ राजेंद्र प्रसाद
◾️ संविधान का प्रभाव में आना
🔸डॉ. बी. आर. अंबेडकर ने सभा में 4 नवंबर 1948 को संविधान का अंतिम प्रारूप पेश किया|
इस बार संविधान पहली बार पढ़ा गया| सभा में इस पर पाँच दिन ( 9 नवंबर 1948 तक) आम चर्चा हुई|
🔸संविधान पर दूसरी बार 15 नवंबर 1948 से विचार होना शुरू हुआ| इसमें संविधान पर खंडवा विचार किया गया यह कार्य 17 नवंबर 1949 तक चला|
इस अवधि में कम से कम 7653 दिन संशोधन प्रस्ताव आये, इनमें से वास्तव में 2473 पर ही सभा में चर्चा हुई|
🔸प्रस्ताव को 26 नवंबर 1949 को पारित घोषित किया| 284 सदस्य उपस्थित थे जिन्होंने संविधान पर हस्ताक्षर किए|
प्रस्ताव में 26 नवंबर 1949 का उल्लेख उस दिन के रूप में किया गया हैं |जिस दिन भारत के लोगो ने सभा में संविधान को अपनाया लागू किया व स्वयं को संविधान सौंपा|
🔸26 नवंबर 1949 को अपनाए गए संविधान में प्रस्तावना 395 अनुच्छेद और 8 अनुसूचियां थी|
प्रस्ताव को पूरे संविधान को लागू करने के बाद लागू किया गया|
🔸भारत के संविधान के पिता – डॉ. बी. आर. अंबेडकर
26 नवंबर 1949 को नागरिकता, चुनाव तदर्थ संसद आस्थायी व परिवर्तनशील नियम तथा छोटे शीर्षकों से जुड़े कुछ प्रावधान अनुच्छेद 5, 6, 7, 8, 9, 60, 324, 366, 367, 379, 380, 388, 391, 392, और 393 स्वत: ही लागू हो गए |
🔸संविधान के शेष प्रावधान 26 जनवरी 1950 को लागू हुए|26 जनवरी 1930 में भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के लाहौर अधिवेशन दिसंबर 1929 में पारित हुए संकल्प के आधार पर पूर्ण स्वराज दिवस मनाया गया था|
संविधान की शुरुआत के साथ ही भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम, 1947 भारत शासन अधिनियम 1935 को समाप्त कर दिया गया|
🔸एबोलिशन ऑफ प्रिवी काउंसिल इन ज्यूरिडिक्शन एक्ट 1949 लागू रहा|
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