उत्तरप्रदेश का इतिहास चार हजार साल से भी पुराना है, लेकिन 24 जनवरी के ही दिन 1950 में राज्य को उत्तर प्रदेश का नाम मिला था। ऐसे में 24 जनवरी को उत्तर प्रदेश अपना 70वां स्थापना दिवस मना रहा है।
24 जनवरी 1950 को उत्तर प्रदेश नाम मिल गया :-
अंग्रेजों से आजादी के बाद 24 जनवरी 1950 को यूनाटेड प्रोविंसेस का नाम बदलकर उत्तर प्रदेश कर दिया गया। 26 जनवरी 1950 को गोविंद वल्लभ पंत ने आजादी के बाद उत्तर प्रदेश के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर कार्यभार संभाला। पंत ने बरेली से चुनाव लड़ा था। 1952 से यूपी के मुख्यमंत्री संपूर्णानंद हो गए।
सुचेता बनीं पहली महिला मुख्यमंत्री :-
आजादी के बाद देश के किसी राज्य में पहली बार महिला मुख्यमंत्री बनने का रिकॉर्ड सुचेता कृपलानी के नाम दर्ज है। दो अक्तूबर 1963 में उन्होंने उत्तर प्रदेश की बागडोर संभाली थी। सुचेता का कार्यकाल तीन साल 162 दिन रहा। 13 मार्च 1967 को उनका निधन हो गया था। सुचेता ने संतकबीरनगर के मेंहडावल विधानसभा से चुनाव लड़ा था।
चौधरी चरण सिंह बने पहले गैर कांग्रेसी मुख्यमंत्री :-
आजादी के बाद से 1967 तक उत्तर प्रदेश में जितने भी मुख्यमंत्री बने सभी कांग्रेस के नेता रहे। तीन अप्रैल 1967 को पहली बार किसी गैर कांग्रेसी को उत्तर प्रदेश की सत्ता मिली थी। वह थे चौधरी चरण सिंह। चौधरी साहब तब भारतीय क्रांति दल के मुखिया थे। उन्होंने छपरौली से चुनाव लड़ा था और जीत हासिल की थी। उनका कार्यकाल 382 दिन का रहा। इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू हो गया।
मायावती सबसे ज्यादा बार यूपी की सीएम रहीं :-
बहुजन समाज पार्टी की मुखिया मायावती उत्तर प्रदेश की सबसे ज्यादा बार मुख्यमंत्री रहीं। उन्हें चार बार (1995,1997,2002 और 2007) ये पद मिला। नारायण दत्त तिवारी, मुलायम सिंह यादव और चंद्रभानु गुप्ता ने तीन-तीन बार यूपी की सत्ता संभाली। भारतीय जनता पार्टी के कल्याण सिंह दो बार मुख्यमंत्री रहे।
नौ बार राष्ट्रपति शासन लगा :-
उत्तर प्रदेश में नौ बार राष्ट्रपति शासन लगाया गया। पहली बार 25 फरवरी 1968 से 26 फरवरी 1969 तक प्रदेश में राष्ट्रपति शासन लगा था। इससे पहले चौधरी चरण सिंह मुख्यमंत्री थे। आखिरी बार 8 मार्च 2002 से तीन मई 2002 तक राष्ट्रपति शासन रहा।
चंद्रभानु गुप्ता का सबसे छोटा कार्यकाल :-
उत्तर प्रदेश के तीसरे मुख्यमंत्री चंद्रभानु गुप्ता का सबसे छोटा कार्यकाल रहा। पहली बार वह दो साल 298 दिन तक मुख्यमंत्री रहे, लेकिन उनका दूसरा कार्यकाल महज 19 दिन का रहा। चंद्रभानु गुप्ता तीसरी बार 1969 में मुख्यमंत्री बने। तब उनका कार्यकाल 365 दिन का था।