तुग़लक़ वंश दिल्ली सल्तनत का एक राजवंश था जिसने सन् 1320 से लेकर सन् 1414 तक दिल्ली की सत्ता पर राज किया। ग़यासुद्दीन ने एक नये वंश अर्थात तुग़लक़ वंश की स्थापना की सिंचाई के लिए नहर का प्रथम निर्माण गयासुद्दीन तुगलक के द्वारा किया गया था, जिसने 1412 तक राज किया। तुगलक वंश से संबंधित जानकारी के इस लेख को अंत तक जरूर पढ़े। यहां से आप तुगलक वंश pdf Download भी कर सकते हैं।
गाजी मलिक
अलाउद्दीन के सेनापतियों में गयासुद्दीन तुगलक या गाजी मलिक तुगलक वंश का प्रथम शासक था| उसने तुगलक वंश की स्थापना की| उसकी माता हिंदू जाट महिला थी तथा पिता एक करौना तुर्क था, जो बलबन का दास था| गयासुद्दीन तुगलक अलाउद्दीन खिलजी के शासनकाल में कई महत्वपूर्ण अभियानों का अध्यक्ष था तथा उसे दीपालपुर का राज्यपाल नियुक्त किया गया था|
29 अवसरों पर उसने मंगोलों के विरूद्ध युद्ध किया, उन्हें भारत से बाहर खदेड़ा, इसलिए यह मलिक-उल-गाजी के नाम से प्रसिद्ध हुआ| खुसरो शाह को समाप्त करके उसने दिल्ली के सिंहासन पर अधिकार कर लिया तथा 8 सितंबर 1320 ई को सुल्तान बना| इसका एक नाम गाजी बेग तुगलक या गाजी तुगलक भी था, इसी कारण इतिहास में उसके उत्तराधिकारियों को भी तुगलक पुकारा जाने लगा और उसका वंश तुगलक वंश कहलाया|
गयासुद्दीन तुगलक
गयासुद्दीन तुगलक के समय में लगान किसानों से पहले की तरह पैदावार को 1/5 से 1/3 भाग वसूल किया जाने लगा| आवश्यकतानुसार अकाल की स्थिति में भूमि कर माफ़ किया जा सकेगा| राजस्व वसूली में सरकारी कर्मचारियों को हिस्सा न देकर कर मुक्त जागीरें दी गयी| गयासुद्दीन तुगलक के समय नस्ल एवं बटाई की प्रथा प्रचलन में रही| अलाउद्दीन के समय की कठोर दंड व्यवस्था समाप्त कर दी गई, परंतु कर न देने वालों, सरकारी धन की बेईमानी करने वालों और चोरों को कठोर दंड दिए गए| बरनी के अनुसार, तुगलकशाह के न्याय से भेड़ियें को भी इस बात का साहस नहीं होता था की वह किसी भेड़ की ओर देखे|
मुहम्मद बिन तुगलक(1325-1351 ई)
दिल्ली सल्तनत के सभी सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक सर्वाधिक विद्वान् एवं शिक्षित शासक था| वह खगोलशास्त्र, गणित एवं आयुर्विज्ञान सहित अनेक विधाओं में निपुण था| मुहम्मद बिन तुगलक ने कृषि की उन्नति के लिए एक नए विभाग दीवान-ए-अमीर-ए-कोही की स्थापना की| इस विभाग का मुख्य कार्य कृषकों को प्रत्यक्ष सहायता देकर अधिक भूमि कृषि कार्य के अधीन लाना था| मुहम्मद तुगलक के प्रयोगों में एक सबसे महत्वपूर्ण था, राजधानी दिल्ली से दौलतबाद (देवगिरि) ले जाना| मुहम्मद बिन तुगलक के द्वारा जारी स्वर्ण सिक्कों को इब्नबतूता तथा दीनार की संज्ञा दी गई थी|
इब्नबतूता(1333-1347 ई)
इब्नबतूता मोरक्को मूल का अफ़्रीकी यात्री था| यह मुहम्मद बिन तुगलक के कार्यकाल (1325-51 ई) में भारत आया| मुहम्मद बिन तुगलक ने इसे दिल्ली का काजी नियुक्त किया था| तत्पश्चात 1342 ई में उसे सुल्तान का राजदूत बनाकर चीन भेजा गया| इब्नबतूता ने किताब-उल-रेहला नामक अपनी पुस्तक में अपनी यात्रा का विवरण प्रस्तुत किया हैं| सल्तनत कल में डाक व्यवस्था का विस्तृत विवरण हमे इब्नबतूता के यात्रा वृतांत द्वारा प्राप्त होता हैं| दिल्ली के सुल्तानों में मुहम्मद बिन तुगलक प्रथम सुल्तान था, जो हिंदुओं के त्योहारों, मुख्यता होली में भाग लेता था| 20 मार्च 1351 को मुहम्मद बिन तुगलक की मृत्यु हो गयी|
फिरोज शाह
फिरोज शाह तुगलक ने सामान्य लोगों की भलाई के लिए कुछ उपकार के कार्य किए| नियुक्ति के लिए एक दफ्तर (रोजगार दफ्तर) खोलकर तथा प्रत्येक मनुष्य के गुण एवं योग्यता की पूरी जांच-पड़ताल के बाद यथासंभव अधिक-से-अधिक लोगों को नियुक्ति देकर उसने बेरोजगारी की समस्या को हल करने का प्रयास किया| सल्तनत काल में सर्वप्रथम फिरोज शाह तुगलक ने ही लोक निर्माण विभाग की स्थापना की थी|
फिरोज ने 300 नवीन नगरों का निर्माण कराया| उसके द्वारा बसाए नगरों में फतेहबाद, हिसार, फिरोजपुर, जौनपुर और फिरोजबाद प्रमुख थे| फरिश्ता के अनुसार फिरोज ने 40 मस्जिदें, 30 विद्यालय, 20 महल, 100 सराएं, 200 नगर, 100 अस्पताल, 5 मकबरे, 100 सार्वजनिक स्नानगृह, 10 स्तंभ और 150 पुलों का निर्माण कराया था|
फिरोज तुगलक का शासनकाल भारत में नहरों सबसे बड़े जल का निर्माण करने के कारण प्रसिद्ध रहा| सिंचाई की सुविधा के उसके पांच बड़ी नहरों का निर्माण कराया|
- प्रथम नहर 150 मिल लम्बी थी, जो यमुना नदी का पानी हिसार तक ले जाती थी|
- दूसरी 96 मिल लंबी थी, जो सतलज से घाघरा तक जाती थी|
- तीसरी सिरमौर की पहाड़ियों से निकल कर हांसी तक जाती थी|
- चौथी घाघरा से फिरोजाबाद तक थी|
- पांचवीं यमुना नदी से फिरोजबाद तक थी|
नासिरुद्दीन महमूद(1394-1412 ई)
नासिरुद्दीन महमूद तुगलक वंश का अंतिम शासक था| इसके शासनकाल में ख्वाजा जहां ने जौनपुर के स्वतंत्र राज्य की स्थापना की| पंजाब का सूबेदार खिज्र खां स्वतंत्र होकर दिल्ली को प्राप्त करने के लिए प्रयत्न करने लगा|
तुगलक वंश से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- 5 सितम्बर 1320 को खुशरों खां को पराजित करके गाजी मलिक या तुगलक गाजी गयासुद्दीन तुगलक के नाम से 8 सितम्बर 1320 को दिल्ली के सिंहासन पर बैठा|
- गयासुद्दीन ने अलाउद्दीन के समय में लिए अमीरों की भूमि को पुन: लौटा दिया|
- तुगलक वंश सिंचाई के लिए कुएं एवं नहरों का निर्माण करवाया| संभवत: नहरों का निर्माण करने वाला गयासुद्दीन प्रथम शासक था|
- गयासुद्दीन तुगलक ने दिल्ली के समीप स्थित पहाड़ियों पर तुगलकाबाद नाम का एक नया नगर में एक दुर्ग का निर्माण भी हुआ| इस दुर्ग को छप्पनकोट के नाम से भी जाना जाता हैं|
- गयासुद्दीन तुगलक की मृत्यु 1325 ई में बंगाल के अभियान में लौटते समय जूना खां द्वारा निर्मित लकड़ी के महल में दबकर हो गयी|
- गयासुद्दीन के बाद उलूग खां या जूना खां मुहम्मद बिन तुगलक के नाम से 1325 ई में दिल्ली के सिंहासन पर बैठा|
- मध्यकालीन सभी सुल्तानों में मुहम्मद तुगलक सर्वाधिक शिक्षित, विद्वान एवं योग्य व्यक्ति था|
- मुहम्मद बिन तुगलक को अपनी सनक भरी योजनाओं, क्रूर कृत्यों एवं दूसरों के सुख-दुःख के प्रति उपेक्षा भाव रखने के कारण स्वप्नशील, पागल एवं रक्तपिपासु कहा गया|