सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत 1929 ई लाहौर कांग्रेस अधिवेशन के दौरान हुई थी| फरवरी 1930 ई में साबरमती आश्रम में हुई कांग्रेस कार्यकारिणी की दूसरी बैठक में महात्मा गाँधी को इस आंदोलन का नेतृत्व सौंपा गया| इस लेख में सविनय अवज्ञा आंदोलन की जानकारी दी गई है तथा अधिक जानकारी के लिए लेख को अंत तक ज़रूर पढ़े। तथा इस लेख के माध्यम से आप सविनय अवज्ञा आंदोलन pdf Download भी कर सकते हैं।
सविनय अवज्ञा आंदोलन का इतिहास
महात्मा गाँधी ने 12 मार्च 1930 ई को अपना प्रसिद्ध दांडी मार्च शुरू किया| उन्होंने साबरमती आश्रम (अहमदाबाद) से चुने हुए साथियों के साथ सत्याग्रह के लिए कूच किया| 24 दिनों की लंबी यात्रा के बाद उन्होंने 6 अप्रैल 1930 को दांडी में सांकेतिक रूप से नमक कानून भंग किया और इस प्रकार नमक कानून तोड़कर उन्होंने औपचारिक रूप से सविनय अवज्ञा आंदोलन का शुभारंभ किया|
6 अप्रैल 1930 ई को दांडी में सांकेतिक रूप से नमक कानून तोड़ा गया और सविनय अवज्ञा का आरंभ किया गया| सुभाष चंद्र बोस ने गाँधी के इस अभियान की तुलना नेपोलियन के ‘एल्बा से पेरिस’ की ओर किए जाने वाले अभियान से की थी| महात्मा गाँधी को 5 अप्रैल 1930ई को गिरफ्तार कर यरवदा जेल भेज दिया गया था| उनके स्थान पर अब्बास तैयबजी आंदोलन के नेता हुए| उनकी भी गिफ्तारी के बाद श्रीमती सरोजनी नायडू ने 21 मई 1930 ई को धरसना नमक गोदाम पर धावे का नेतृत्व किया था| इस लोमहर्षक घटना का विवरण अमेरिकी पत्रकार वेब मिलर ने प्रस्तुत किया हैं|
उत्तर-पश्चिमी सीमा प्रान्त में खान अब्दुल गफ्फार खां के नेतृत्व में ‘खुदाई खिदमतगार’ नामक स्वयंसेवक संगठन स्थापित किया गया था, इन्हें ‘लाल कुर्ती’ (Red Shirt) के नाम से भी जाना जाता हैं| सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान पेशावर में गढ़वाल रेजीमेंट के सिपाहियों ने चन्द्रसिंह गढ़वाली के नेतृत्व ने निहत्थी भीड़ पर गोली चलाने से इंकार कर दिया था| सविनय अवज्ञा आंदोलन के दौरान मणिपुर की जनजातियों ने भी सक्रिय भागीदारी दिखाई यहां पर आंदोलन का नेतृत्व नगा जनजाति की महिला गैडिनल्यू ने किया|
सविनय अवज्ञा आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य
- कांग्रेस के 1929 ई के लाहौर अधिवेशन में ‘पूर्ण स्वराज’ का अपना लक्ष्य घोषित किया था| 31 दिसंबर 1929 ई को रात के 12 बजे जवाहरलाल नेहरू ने रावी नदी के तट पर नवगृहीत तिरंगे झण्डे को फहराया|
- इस अधिवेशन में 26 जनवरी 1930 ई को ‘प्रथम स्वाधीनता दिवस’ के रूप में मनाने का निश्चय किया गया|
- 12 मार्च 1930 ई को गाँधी जी ने अपने 79 समर्थकों के साथ साबरमती स्थित अपने आश्रम से लगभग 322 किमी दूर दांडी के लिए प्रस्थान किया| लगभग 24 दिनों बाद 6 अप्रैल 1930 ई को दांडी पहुंचकर गाँधी जी ने नमक कानून तोड़ा और सविनय अवज्ञा आंदोलन की शुरुआत की|
- 4 मार्च 1931 को गाँधी-इरविन समझौता हुआ, इसके बाद गाँधी जी ने सविनय अवज्ञा आंदोलन स्थगित कर दिया|
सविनय अवज्ञा आंदोलन PDF Download
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सविनय अवज्ञा आंदोलन से संबंधित महत्वपूर्ण प्रश्न
Q.1 किस कांग्रेस सत्र में कार्यकारी कमेटी को सविनय अवज्ञा आंदोलन प्रारंभ करने का अधिकार दिया गया था? A) बंबई सत्र B)लाहौर सत्र C)लखनऊ सत्र D)त्रिपुरी सत्र |
Q.2 दांडी यात्रा के साथ निम्नलिखित क्या प्रारंभ हुआ? A) होमरूल आंदोलन B)असहयोग आंदोलन सविनय अवज्ञा आंदोलन D)भारत छोड़ों आंदोलन |
Q.3 सविनय अवज्ञा आंदोलन के रूप में गाँधी जी ने ‘दांडी मार्च’ प्रारंभ कब किया था? A)31 दिसंबर 1929ई B)26 जनवरी 1930ई C)12 मार्च 1930ई D)6 अप्रैल 1930ई |
Q.4 निम्न प्रांतों में से किस प्रान्त के सत्याग्रहियों की संख्या महात्मा गाँधी के दांडी कूच में सर्वाधिक थी? A)बिहार B)गुजरात C)महाराष्ट्र D)बंगाल |
Q.5 दांडी यात्रा कितने दिन चली थी? A)10 दिन B)20 दिन C)24 दिन D)34 दिन |
Q.6″शक्ति के विरुद्ध अधिकार की इस लड़ाई में मैं विश्व की सहानुभूति चाहता हूं|” यह कथन किससे संबध हैं? A)असहयोग आंदोलन B)गाँधी की दांडी यात्रा C)वैयक्तिक सत्याग्रह D)भारत छोड़ो आंदोलन |
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