रॉलेट एक्ट (अधिनियम) 1919 ब्रिटिश भारत में पास किया गया था और यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के प्रेरणास्त्रोत बन गया। इस अधिनियम के तहत, ब्रिटिश सरकार को यह अधिकार मिलता था कि वे किसी व्यक्ति को बिना किसी याचिका या सुनवाई के ही किसी जेल भेज सकती थी। इसका परिणाम स्वतंत्रता संग्राम के विरोध में भारतीयों का आक्रोश बढ़ गया और यह अधिनियम ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ आवाज बुलंद करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाया।
रॉलेट एक्ट 1919 स्वतंत्रता संग्राम का आरंभ
रॉलेट एक्ट (अधिनियम) 1919 का आरंभ 10 मार्च 1919 को हुआ था। इस अधिनियम के तहत, ब्रिटिश सरकार को विशेष शक्तियों का उपयोग करके व्यक्तिगत स्वतंत्रता को दबाने की अनुमति दी गई थी। इसके तहत, व्यक्तियों को बिना किसी याचिका या सुनवाई के ही जेल भेजने का अधिकार था। यह अधिनियम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आग को और भी बढ़ा दिया और भारतीयों के बीच औपचारिक विरोध और आंदोलन की भावना को उत्तेजित किया।
रॉलेट एक्ट अधिनियम के उद्देश्य
रॉलेट एक्ट (अधिनियम) 1919 का प्रमुख उद्देश्य था ब्रिटिश सरकार को विशेष शक्तियों का उपयोग करके व्यक्तिगत स्वतंत्रता को दबाने की क्षमता प्राप्त करना। यह अधिनियम उनके पास विभागीय राजनीतिक गतिविधियों को निगरानी करने और विरोधकों को दबाने की अनुमति देता था, जिसका परिणाम स्वतंत्रता संग्राम के खिलाफ भारतीयों का विरोध बढ़ गया। इसके साथ ही, यह अधिनियम ब्रिटिश सरकार को संग्राम के नेताओं को निगरानी में रखने की सुविधा प्रदान करता था ताकि उन्हें आवश्यकता के हिसाब से कार्रवाई की जा सके।
रॉलेट एक्ट का कारण
रॉलेट एक्ट (अधिनियम) 1919 के पीछे कई कारण थे, जो ब्रिटिश सरकार को इसे पास करने के लिए प्रेरित किए।
पहले विश्वयुद्ध (वर्ल्ड वॉर I)- इस युद्ध के दौरान ब्रिटिश सरकार ने भारतीय समर्थन को प्राप्त करने के लिए यह अधिनियम पास किया, क्योंकि वे भारतीयों का समर्थन चाहते थे।
अंतर्गत भारतीय राज्यों में उपद्रव- विश्वयुद्ध के बाद, भारत में कई भूखमरी और उपद्रव हुए थे, जिनका प्रबंधन करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने इस अधिनियम को बनाया।
स्वतंत्रता संग्राम की बढ़ती भावना – रॉलेट एक्ट के आवाजाहीनी दबाव के कारण, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की भावना में वृद्धि हो रही थी। यह अधिनियम नेताओं को जेल भेजने और उनके संघर्ष को दबाने का एक उपाय दिखाता था।
ब्रिटिश साम्राज्य की रक्षा – ब्रिटिश सरकार ने यह अधिनियम उन स्थितियों में पास किया जहां उन्हें लगता था कि स्थानीय विरोध को दबाने के बिना स्थिति अधिग्रहण में असुरक्षा हो सकती है।
भारतीय समाज की विभिन्नता – भारत में विभिन्न समाजों के बीच भावनाओं की भिन्नता के कारण, ब्रिटिश सरकार ने इस अधिनियम का उपयोग विभाजन को कम करने के लिए किया।
इन कारणों के संयोजन से रॉलेट एक्ट का प्रस्ताव बना और इसका परिणाम भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की आग को और भी बढ़ा दिया।
रौलेट एक्ट अधिनियम के परिणाम
रॉलेट एक्ट (अधिनियम) 1919 के परिणाम निम्नलिखित थे।
स्वतंत्रता संग्राम की भावना का बढ़ना: यह अधिनियम भारतीय समाज में स्वतंत्रता संग्राम की भावना को बढ़ा दिया, क्योंकि यह अधिनियम ब्रिटिश सरकार की अत्यधिक प्राधिकृत शक्तियों का उपयोग विरोधी आंदोलनों को दबाने के लिए करता था.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विकास में वृद्धि – रॉलेट एक्ट के खिलाफ विरोध से जुड़े ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विकास में बढ़त हुई, और विभाजन के बावजूद समग्र देश में स्वतंत्रता संग्राम की एकता की भावना उत्तेजित हुई।
ब्रिटिश साम्राज्य की पराजय की प्रारंभिक संकेत – रॉलेट एक्ट और इसके परिणामस्वरूप बढ़ते भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने ब्रिटिश साम्राज्य की नास्तिकी का संकेत दिया और इसकी पराजय की प्रारंभिक संकेत दिया।
ब्रिटिश सरकार की तरफ से परिप्रेक्ष्य में परिवर्तन – रॉलेट एक्ट के विरोध में उठे आंदोलनों की वजह से ब्रिटिश सरकार ने अपनी नीतियों में कुछ परिप्रेक्ष्य में परिवर्तन किया, लेकिन इसने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की धारा को नहीं रोक सका।
रॉलेट एक्ट के परिणामस्वरूप भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की गहरी जड़ें जम चुकी थीं, जिसने अंतत: भारत को स्वतंत्रता दिलाने के प्रति उत्सुकता को और भी बढ़ावा दिया।
रॉलेट एक्ट अधिनियम की समाप्ति
रॉलेट एक्ट (अधिनियम) 1919 का अंत इस प्रकार हुआ कि यह अधिनियम अधिकतम तीन साल के लिए पास किया गया था, जिसका अंत वर्ष 1922 में हुआ था। इसके बाद, ब्रिटिश सरकार ने इसे समाप्त किया और इसके बाद कुछ स्थानीय सुधार किए गए, लेकिन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम ने जारी रहा। रॉलेट एक्ट के पास होने के बाद ही, भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की मांग के साथ साथ उसकी विरोधी आंदोलन भी बढ़ गई, जिससे इसका असर भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के उत्तराधिकारियों तक पहुंचा।
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FAQ
Q.1 रॉलेट एक्ट क्या था?
Ans. रॉलेट एक्ट एक १९१९ का क़ानून था जो ब्रिटिश भारत सरकार को बिना याचिका के किसी भी व्यक्ति को निर्वाचनी अधिकार से वंचित करने की शक्ति प्रदान करता था।
Q.2 रॉलेट एक्ट किसने पास किया था?
Ans. रॉलेट एक्ट को ब्रिटिश भारत सरकार ने 1919 में पास किया था।
Q.3 रॉलेट एक्ट का उद्देश्य क्या था?
Ans. इसका प्रमुख उद्देश्य ब्रिटिश सरकार को विशेष व्यक्तियों को निर्वाचनी अधिकार से वंचित करने की शक्ति प्रदान करना था।
Q.4 भारतीयों ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ कैसे प्रतिक्रिया दिखाई?
Ans. भारतीयों ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ विभाजन, प्रदर्शन और आंदोलन के माध्यम से प्रतिक्रिया दिखाई।
Q.5 महात्मा गांधी ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ कैसे प्रदर्शन किया?
Ans. महात्मा गांधी ने रॉलेट एक्ट के खिलाफ असहमति और आंदोलन के रूप में “रॉलेट सत्याग्रह” की शुरुआत की थी।
Q.6 रॉलेट एक्ट का असर किस प्रकार दिखाई दिया?
Ans. रॉलेट एक्ट का असर भारतीय समुदाय में आवाज़ उठाने का सिलसिला था, जिससे यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण चरण बन गया।
Q.7 रॉलेट एक्ट का असर कब खत्म हुआ?
Ans. रॉलेट एक्ट का असर 1922 में सार्वभौमिक सत्याग्रह के बाद खत्म हुआ, जिससे ब्रिटिश सरकार ने कुछ सुधार किए और रॉलेट एक्ट को रद्द किया।
Q.8 रॉलेट एक्ट के बाद क्या हुआ?
Ans. रॉलेट एक्ट के बाद, ब्रिटिश सरकार ने सामाजिक और राजनीतिक सुधार करने की कई कदम उठाए, लेकिन यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की ऊर्जा को और भी बढ़ा दिया।
Q.9 क्या रॉलेट एक्ट के बाद भारतीयों को निर्वाचनी अधिकार मिले?
Ans. नहीं, रॉलेट एक्ट के बाद भारतीयों को निर्वाचनी अधिकार नहीं मिले।
Conclusion |
आशा है की आप इस आर्टिकल को अच्छे समझ गए होंगे और यदि आप के मन में इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल हो तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में msg कर सकते है।
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