🔸हाल ही में केंद्रीय पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्रालय द्वारा दो नए रामसर स्थलों (अंतर्राष्ट्रीय महत्व की आर्द्रभूमि ) की घोषणा की गई|
यह घोषित रामसर स्थल है- कि खिजड़िया वन्य जीव अभ्यारण और बखिरा वन्य जीव अभ्यारण,
🔸इसके साथ ही भारत में वर्तमान में कुल 49 रामसर स्थल हो गए हैं|
10 लाख 93 हजार हेक्टेयर से भी ज्यादा के क्षेत्र को कवर करते हैं, जो दक्षिण एशिया में सबसे अधिक है|
बखिरा वन्य जीव अभ्यारण
🔸यह उत्तर प्रदेश में स्थित है|
यह बड़ी संख्या में मध्य एशियाई पक्षियों की प्रजातियों के लिए सर्दियों में सुरक्षित और अनुकूल स्थल प्रदान करता हैं|
खिजडिया वन्यजीव अभ्यारण
🔸यह गुजरात में स्थित है|
यह पक्षियों की व्यापक विविधता वाला तटीय आर्द्रभूमि है|
🔸जो लुप्तप्राय और कमजोर प्रजातियों को एक सुनिश्चित आवास प्रदान करती है|
इन दोनों रामसर स्थलों की घोषणा विश्व वेटलैंड्स दिवस के अवसर पर की गई|
🔸इससे पूर्व केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय द्वारा अगस्त 2021 में सुल्तानपुर राष्ट्रीय उद्यान और झज्जर में भिंडावास वन्य जीव अभ्यारण को रामसर स्थलों के रूप में अधिसूचित किया गया था|
🔸स्पेस एप्लीकेशन सेंटर (एसएसी )अहमदाबाद द्वारा तैयार “नेशनल वेटलैंड डेकाडल चेंज एटलस” पिछले एक दशक में देश भर में आर्द्रभूमि में हुए परिवर्तनों पर प्रकाश डालता है|
रामसर अभिसमय /समझौते (Ramsar Convention)
🔸रामसर वेटलैंडस कन्वेंशन आर्द्रभूमि के संरक्षण और टिकाऊ उपयोग के लिए एक वैश्विक पर्यावरण संधि है|
इस संधि का नाम ईरान के शहर रामसर के नाम पर रखा गया है, जहां 2 फरवरी 1971 को इस पर हस्ताक्षर किए गए थे|
🔸यह अंतर्राष्ट्रीय महत्व की भूमियों के संरक्षण के उद्देश्य से विश्व के राष्ट्रीय के बीच एक संधि है|
भारत 1 फरवरी 1982 को इस कन्वेंशन में शामिल हुआ|