मगध साम्राज्य Pdf[History of Magadha Empire UPSC]

मगध प्राचीन भारत के सोलह महाजनपदों में से एक था| यह  बुद्ध काल तथा परवर्ती काल में उत्तरी भारत का सबसे शक्तिशाली और समृद्ध जनपद था| इसकी स्थिति मूलत: दक्षिण बिहार के क्षेत्र में थी| इसके अंतर्गत आधुनिक ‘पटना’ एवं ‘गया’ जिला शामिल थे| इसकी राजधानी गिरिब्रज थी| बाद में राजगृह बनी, जो पांच पहाड़ियों से घिरी थी|

मगध साम्राज्य का उदय

मगध साम्राज्य का उदय महाजनपद काल से शुरू होता है, जो करीब 6वीं सदी ईसा पूर्व में हुआ था। मगध क्षेत्र उत्तर भारत में स्थित था।

मगध साम्राज्य का प्रमुख उदय सिसुनागर के राजा बिम्बिसार के समय हुआ था। उन्होंने मगध साम्राज्य की सीमा बढ़ाई और उसे विस्तारित किया। उन्होंने गौतम बुद्ध के संग दरबार में बहुत विचार-विनिमय किया और धर्मिक समुदायों के साथ संबंध बनाए।

मगध साम्राज्य का उदय मौर्य वंश के चंद्रगुप्त मौर्य और उसके पुत्र अशोक मौर्य के समय में और भी अधिक विस्तारित हुआ। अशोक मौर्य ने धर्म के प्रसार के लिए अपने प्रसिद्ध अशोकान शिलालेखों का प्रचार किया और भारतीय इतिहास में महत्वपूर्ण योगदान किया।

इसके बाद, मगध साम्राज्य ने भारतीय इतिहास के विभिन्न कालों में बड़े साम्राज्य के रूप में विकसित किया और उसका उदय भारतीय सभ्यता और राजनीति के इतिहास में महत्वपूर्ण घटनाओं के साथ जुड़ा रहा।

मगध साम्राज्य के प्रमुख वंश

हर्यक वंश (544 ई पू – 412 ई पू)

हर्यक वंश का संस्थापक बिम्बिसार था| इसकी राजधानी राजगृह या गिरिब्रज(पाटलिपुत्र) थी|

बिम्बिसार

बिम्बिसार हर्यक वंश का प्रथम शक्तिशाली शासक था| उसे मगध साम्राज्य की सत्ता का वास्तविक संस्थापक भी माना जाता हैं| बिम्बिसार 15 वर्ष की आयु में मगध का शासक बना तथा 52 वर्षों तक शासन किया| इसके शासनकाल में मगध ने विशिष्ट स्थान प्राप्त किया| जैन साहित्य में बिम्बिसार का एक अन्य नाम श्रेणिक था|

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हर्यक वंश का संस्थापक –  बिम्बिसार 

 

बिम्बिसार ने ‘विजय और विवाह’ की नीति के द्वारा अपने साम्राज्य का विस्तार किया| बिम्बिसार ने अपने राज्य की नींव विभिन्न वैवाहिक संबंधों के फलस्वरूप रखी और उसका विस्तार किया|  बिम्बिसार ने तीन विवाह किये|

  • बिम्बिसार की प्रथम पत्नी महाकौशल देवी थी, जो कोसलराज की पुत्री और प्रसेनजित की बहन थी| इसके साथ दहेज़ में काशी प्रांत मिला, जिससे एक लाख की वार्षिक आय होती थी|
  • दूसरी पत्नी वैशाली की लिच्छवी राजकुमारी चेलना(छलना) थी, जिससे अजातशत्रु का जन्म हुआ|
  • तीसरी पत्ली क्षमा पंजाब के मद्र कुल की राजकुमारी थी|

बिम्बिसार को वैवाहिक संबंधों से बड़ी राजनीतिक प्रतिष्ठा मिल और मगध को पश्चिम एवं उत्तर की ओर विस्तारित करने का मार्ग प्रशस्त हुआ| बिम्बिसार ने अंग राज्य को जीतकर उसे मगध में मिला लिया तथा अपने पुत्र अजातशत्रु को वहां का शासक नियुक्त किया|

बिम्बिसार ने अवन्ति के शासक चंडप्रद्योत से मित्रता कर ली तथा अपने राज्यवैद्य जीवक को उसके इलाज के लिए भेजा| बिम्बिसार की हत्या उसके पुत्र अजातशत्रु ने कर दी और वह 492 ई पू में मगध की राजगद्दी पर बैठा| अजातशत्रु को पितृहन्ता के रूप में जाना जाता हैं|

 

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अजातशत्रु (492 ई पू – 460 ई पू)

अजातशत्रु का कोशल नरेश प्रसेनजित से युद्ध हुआ| प्रसेनजित की पराजय हुई, परंतु बाद में दोनों में समझौता हो गया| प्रसेनजित ने अपनी पुत्री वाजिरा का विवाह अजातशत्रु से किया| अजातशत्रु का उपनाम ‘कुणिक’ था| अजातशत्रु जैन मतानुयायी था|

अजातशत्रु का लिच्छवियों से युद्ध हुआ| अपने कूटनीतिक मित्र वस्सकार की सहायता से उसने लिच्छवियों पर विजय प्राप्त की| इस युद्ध में अजातशत्रु ने रथमूसल तथा महाशिलाकण्टक नमन हथियारों का प्रयोग किया| बाद में काशी व वैशाली दोनों मगध के अंग बन गए|

अजातशत्रु के समय में ही राजगृह की सप्तपर्णि गुफा में प्रथम बौद्ध संगीति का आयोजन हुआ था| अजातशत्रु ने 32 वर्षो तक मगध पर शासन किया| (पुराणों के अनुसार 28 वर्ष) 32 वर्षो तक शासन करने के बाद अजातशत्रु के पुत्र उदायिन ने उसकी हत्या कर दी|

उदायिन (460 ई पू – 444 ई पू)

पुराणों एवं जैन ग्रंथों के अनुसार उदायिन ने गंगा तथा सोन नदियों के संगम तट पर पाटलिपुत्र (कुसुमपुरा) नामक नगर की स्थापना की तथा उसे अपनी राजधानी बनाया| उदायिन जैन मतानुयायी था|

Note- हर्यक वंश का अंतिम राजा उदायिन का पुत्र नागदशक था| इसको उसके आमत्य(मंत्री) शिशुनाग ने पदच्युत कर मगध की गद्दी पर अधिकार कर लिया और शिशुनाग नामक एक नए वंश की स्थापना की|

 

शिशुनाग वंश (412 ई पू – 344 ई पू)

इस वंश का संस्थापक शिशुनाग को माना जाता हैं| इसी के नाम पर इस वंश का नाम शिशुनाग वंश पड़ा|

शिशुनाग (412 ई पू – 394 ई पू)

शिशुनाग ने अवंति तथा वत्स राज्य पर अधिकार कर उसे मगध साम्राज्य में मिला लिया| इसने वैशाली को राजधानी बनाया| इसके शासन के समय मगध साम्राज्य के अंतर्गत बंगाल से लेकर मालवा तक भू-भाग सम्मिलित था| महावंश के अनुसार, शिशुनाग की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र कालाशोक गद्दी पर बैठा|

कालाशोक (394 ई पू – 366 ई पू)

कालाशोक का नाम पुराण तथा दिव्यावदान में काकवर्ण मिलता हैं| इसने वैशाली के स्थान पर पुन: पाटलिपुत्र को अपनी राजधानी बनाया| इसने 28 वर्षों तक शासन किया| इसी के समय द्वितीय बौद्ध संगीति का आयोजन वैशाली में हुआ| इसी समय बौद्ध संघ दो भागों ( स्थविर तथा महासांघिक) में बँट गया|

बाणभट्ट रचित ‘हर्षचरित’ के अनुसार काकवर्ण को राजधानी पाटलिपुत्र में घूमते समय महापद्यनन्द नामक व्यक्ति ने चाकू मारकर हत्या कर दी|

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नंद वंश (344 ई पू – 324 ई पू)

नंद वंश का संस्थापक महापद्यनन्द था|

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नंद वंश का संस्थापक – महापद्मनंद 
महापद्यनन्द

पुराणों के अनुसार, इस वंश का संस्थापक महापद्यनन्द एक शूद्र था| इसमें महापद्यनन्द को सरक्षत्रांतक (क्षत्रिय का नाश करने वाला) तथा ‘भार्गव’ ( दूसरे परशुराम का अवतार) कहा गया हैं| इसने एक विशाल साम्राज्य की स्थापना की तथा ‘एकराट’ एवं ‘एकक्षत्र’ की उपाधि धारण की|

घनानंद

धनानंद सिकंदर का समकालीन था| इसके समय में 326 ई पू में सिकंदर ने पश्क्षिमोत्तर भारत पर आक्रमण किया था| ग्रीक ( यूनानी लेखकों ने इसे ‘अग्रमीज’ कहा हैं| घनानंद ने जनता पर बहुत से कर आरोपित किये थे, जिससे जनता असंतुष्ट थी|

घनानंद के दरबार में (चाणक्य तक्षशिला का आचार्य) आया था| वह घनानंद के द्वारा अपमानित किया गया|

322 ई पू में चंद्रगुप्त मौर्य ने अपने गुरु चाणक्य की सहायता से घनानंद की हत्या कर मौर्य वंश की स्थापना की| मौर्य के शासन में मगध साम्राज्य चरमोत्कर्ष पर पहुंच गया|

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मगध की सफलता के कारण

मौर्य के उत्थान से पहले की सदियों में मगध के साम्राज्य के विकास का दौर था| समकालीन ईरानी साम्राज्य के दौर के समान लौह युग में मगध की भौगोलिक स्थिति बड़ी उपयुक्त थी| 500 ई पू के आस पास उज्जैन में लोहे गलाने और ढालने का कार्य होने लगा|

पाटलिपुत्र तथा राजगीर मगध की दोनों राजधानियां सामरिक दृष्टि से महत्वपूर्ण रही| जहां राजगीर पांच पहाड़ियां से घिरा हुआ स्थान था, तो वह पाटलिपुत्र गंगा, गंडक एवं सोन नदियों के संगम पर स्थित रहा था| सोन एवं गंगा नदी इसे पश्चिम और उत्तर की ओर से घेरे और पुन पुन दक्षिण तथा पूरब से घेरे हुई थी|

Now it’s your turn to answer these questions(अब इन प्रश्नों का उत्तर देने की आपकी बारी)

Q.1 पाटलिपुत्र को सर्वप्रथम किस शासक ने अपनी राजधानी बनाया?

A) चंद्रगुप्त मौर्य                     B) अशोक महान

C) चंद्रगुप्त विक्रमादित्य           D) कनिष्क

Q.2 मगध साम्राज्य की राजधानी पाटलिपुत्र के बारे में निम्लिखित में से कौन-सा कथन सत्य हैं?

A) पाटलिपुत्र पूरब में गंगा नदी से एवं उत्तर में चम्पा नदी से घिरा है|

B) पाटलिपुत्र उत्तर गंगा नदी से एवं पश्चिम में सोन नदी से घिरा हुआ था|

C) पाटलिपुत्र दक्षिण में विंध्य पर्वत से एवं पूरब में गंगा नदी से घिरा हुआ था|

D) पाटलिपुत्र दक्षिण में विंध्य पर्वत से एवं पश्चिम में चम्पा नदी से घिरा हुआ था|

Q.3 प्रथम मगध साम्राज्य का उत्कर्ष की शताब्दी में हुआ था?

A) ई पू छठी शताब्दी               B) ई पू  दूसरी शताब्दी

C) ई पू चौथी शताब्दी              D) ई पू पहली शताब्दी

Q.4 अजातशत्रु के वंश का नाम क्या था?

A) मौर्य  वंश                     B) हर्यक वंश

C) नंद वंश                       D) गुप्त वंश

Q.5 मगध का कौन-सा सम्राट अपरोपरशुराम के नाम से जाना जाता हैं?

A) बिंदुसार                      B) कालाशोक

C) अजातशत्रु                   D) महापद्यनन्द

 

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