खिलाफत आंदोलन 1919 में भारतीय मुस्लिम समुदाय ने खिलाफत यानी खिलाफत (खिलाफत और फत्वा की शराई अधिकारिता) की सख्त पालन के लिए आवाज उठाई थी। इसका मुख्य उद्देश्य था।
कि भारतीय मुस्लिम समुदाय तुर्की सल्तनत के खिलाफ आगे आए और उसकी समर्थन करें, जो कि पहले विश्व युद्ध के बाद उसकी स्थिति में कमी के कारण कमजोर हो गई थी।
इस आंदोलन का एक प्रमुख प्रेरणा स्रोत था मौलाना मोहम्मद अली जौहर और मौलाना शौकत अली जौहर के नेतृत्व में मुंबई में की गई थी। यह आंदोलन गांधी जी के असहमति के बावजूद भी समर्थित किया गया था। यह आंदोलन भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण प्रमुख घटकों में से एक था।
खिलाफत आंदोलन
खिलाफत आंदोलन भारत में 1919-1922 के दौरान आयोजित एक महत्वपूर्ण आंदोलन था जिसका मुख्य उद्देश्य था तुर्की सल्तनत के खिलाफ समर्थन दिखाना और उसकी खिलाफत (खिलाफत और फत्वा की शराई अधिकारिता) की सख्त पालन के लिए आवाज उठाना।
यह आंदोलन मुस्लिम आवाम के बीच तुर्की सल्तनत के समर्थन में जागरूकता पैदा करने का उद्देश्य रखता था, जिसके बाद महात्मा गांधी ने इसे अपने असहमति के बावजूद समर्थित किया और इसे एकत्रित स्वराज्य आंदोलन के साथ मिलाया।
खिलाफत आंदोलन की मुख्य दो मुख्य आवश्यकताएँ थीं
1. तुर्की सल्तनत की महत्वपूर्णता और शराई अधिकारिता की सुरक्षा करने की खातिर समर्थन दिखाना, और दूसरी, मुस्लिम समुदाय की आस्था और भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के साथ उनके सहयोग को जोड़ना।
2. खिलाफत आंदोलन का परिणामस्वरूप तुर्की सल्तनत की स्थिति में सुधार नहीं हुआ, लेकिन यह भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के महत्वपूर्ण प्रमुख घटकों में से एक बन गया।
खिलाफत आंदोलन का परिणाम
खिलाफत आंदोलन, जो 1919 और 1922 के बीच भारत में ब्रिटिश शासन के खिलाफ आयोजित हुआ था, ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम की महत्वपूर्ण धारा का आरंभ किया था। यह आंदोलन ब्रिटिश सरकार के खिलाफ भारतीय जनमता की भागीदारी का प्रतीक बना, और इसने महात्मा गांधी की नेतृत्व में गैर-हिंसक सत्याग्रह की प्रारंभिक प्रेरणा दी। खिलाफत आंदोलन ने ब्रिटिश सरकार के प्रति भारतीय जनमता की एकता को मजबूत किया और राष्ट्रीय आंदोलन की दिशा में महत्वपूर्ण परिवर्तन किया।
खिलाफत आंदोलन का अंत 1922 में हुआ था, जब महात्मा गांधी ने चारका सत्याग्रह की शुरुआत की और आंदोलन को बंद कर दिया। इससे पहले, खिलाफत आंदोलन का मुख्य लक्ष्य था ब्रिटिश सरकार को दबाना और खिलाफत के श्रद्धालु मुस्लिम आवाम के मुद्दों का समर्थन करना, लेकिन असहमति और हिंसा के कारण गांधीजी ने इसे बंद कर दिया। इससे खिलाफत आंदोलन की अंतिम चरण में कमी आई और आंदोलन धीरे-धीरे थम गया।
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FAQ
Q.1खिलाफत आंदोलन क्या था?
Ans.खिलाफत आंदोलन एक धार्मिक और सामाजिक आंदोलन था जो तुर्की के खिलाफत की समर्थन में था और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विरोध करता था।
Q.2 यह आंदोलन कब और क्यों शुरू हुआ?
Ans.खिलाफत आंदोलन 1919 में ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ और तुर्की के खिलाफत के समर्थन में आयोजित हुआ।
Q.3 खिलाफत आंदोलन के प्रमुख नेता कौन थे?
Ans. मोहम्मद अली और शौकत अली आंदोलन के प्रमुख नेता थे, जिन्होंने तुर्की के खिलाफत के समर्थन में आवाज उठाई।
Q.4आंदोलन का मुख्य उद्देश्य क्या था?
Ans.आंदोलन का मुख्य उद्देश्य तुर्की के खिलाफत के स्थान पर उन्नतीश्वर निकाय का गठन करने का समर्थन करना था।
Q.5 आंदोलन ने किस प्रकार का प्रदर्शन किया?
Ans. खिलाफत आंदोलन ने सत्याग्रह, हड़ताल, बंद और प्रदर्शन जैसे अनेक प्रकार के प्रदर्शन किए गए थे।
Q.6गांधीजी ने इस आंदोलन में कैसे योगदान दिया?
Ans. महात्मा गांधी ने खिलाफत आंदोलन का समर्थन किया और उसने इसे अपने सत्याग्रह के सिद्धांतों के साथ मिलाकर चलाया।
Q.7 आंदोलन का क्या परिणाम था?
Ans.आंदोलन के परिणामस्वरूप ब्रिटिश साम्राज्य ने उन्नतीश्वर निकाय को बर्खास्त कर दिया और तुर्की के खिलाफत को समाप्त किया।
Q.8 आंदोलन की असफलता के कारण क्या थे?
Ans. ब्रिटिश सरकार के दबाव, आंदोलन के नेताओं के गिरफ्तारी, और विभाजन की कुछ वजहों से आंदोलन की असफलता हुई।
Q.9 आंदोलन का आधारभूत संदेश क्या था?
Ans. आंदोलन ने धार्मिक एकता और ब्रिटिश साम्राज्य के खिलाफ विरोध के महत्वपूर्ण संदेश को प्रस्तुत किया।
Q.10 खिलाफत आंदोलन का आधारभूत परिणाम क्या था?
Ans. खिलाफत आंदोलन ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम के विकल्पों और सत्याग्रह के तरीकों को प्रभावित किया, जो बाद में भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई।
Conclusion |
आशा है की आप इस आर्टिकल को अच्छे समझ गए होंगे और यदि आप के मन में इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल हो तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में msg कर सकते है।
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