चंद्रयान-1भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा चलाया गया था और यह भारत का पहला चंद्रमा मिशन था, जो कि 22 अक्टूबर 2008 को सक्रिय हुआ था। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान करना था।
चंद्रयान-1 की सम्पूर्ण जानकारी
लॉन्च – 22 अक्टूबर 2008
लॉन्च वाहन – पीएसएलवी-सी11 (चंद्रयान-1 को विकसित करने में उपयोग किया गया)
मिशन काल – चंद्रयान-1 ने प्लैनेटरी सर्फेस इंस्ट्रुमेंट्स के साथ 312 दिनों तक चंद्रमा की छाया में बिताए।
इनस्ट्रुमेंट्स – इसके पास छः वैज्ञानिक उपकरण थे, जिनमें थर्मल इमेजर, एक्सरे एनलाइटिकल आवलोकनर, चंद्रमा और अपग्रह मानक विचारशील गैमा स्पेक्ट्रोमीटर शामिल थे।
लॉन्च स्थल – चंद्रयान-1 ने कैथेड्रल क्रेटर के पास आईएसआरओ की श्रीहरिकोटा अंतरिक्ष केंद्र से उपग्रह डाउनलिंकिंग स्थलों से डेटा भेजा।
यह मिशन ने चंद्रमा की सतह पर वैज्ञानिक अनुसंधान की शुरुआत की और भारत को अंतरिक्ष अनुसंधान में महत्वपूर्ण कदम आगे बढ़ने का मौका दिया।
चंद्रयान-1 का मुख्य उद्देश्य था कि भारत अपनी पहली चांदीय मिशन के रूप में चंद्रमा के करीब पहुंच सके।चंद्रमा की सतह का अध्ययन करना और उसमें पानी की खोज करना था। इसके साथ ही, यह मिशन भारत के अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी क्षेत्र में महत्वपूर्ण कदम था और इसके माध्यम से भारत ने अंतरिक्ष अनुसंधान में अपनी पहचान बनाई
चंद्रयान के मुख्य भाग
चंद्रयान मिशन में विभिन्न मुख्य भाग शामिल थे।
चंद्रयान उपग्रह (Orbiter) – चंद्रयान के मुख्य हिस्से में से एक था चंद्रयान उपग्रह, जो चंद्रमा के चारों ओर चक्कर लगाते हुए चंद्रमा की कक्षा में परिक्रमण करता रहा। इसका मुख्य कार्य वैज्ञानिक उपकरणों के साथ चंद्रमा की सतह पर अनुसंधान करना था।
इम्पैक्टर (Impactor) – चंद्रयान मिशन में एक इम्पैक्टर भी शामिल था, जिसे “डीप इम्पैक्टर” कहा गया था। इसका उद्देश्य था कि यह चंद्रमा की सतह पर टकराव करके उसकी ऊपरी तह में एक क्रैटर बनाएगा, जिसकी मदद से गैसों की और पानी की वापसी के संकेत मिल सकते थे।
लैंडर (Lander) – मिशन में एक लैंडर भी शामिल था जिसे “विक्रम” के नाम से जाना जाता है। इसका मुख्य उद्देश्य था कि यह चंद्रमा की सतह पर सफलतापूर्वक उतरे और वहाँ से वैज्ञानिक अनुसंधान कर सके। हालांकि, विक्रम लैंडर अपने लंबे प्रयासों के बावजूद चंद्रमा पर सफलतापूर्वक उतरने में असफल रहा और संपर्क खो दिया।
यह मुख्य भाग चंद्रयान मिशन के विभिन्न पहलुओं को प्रकट करते हैं जिनसे वैज्ञानिक अनुसंधान और चंद्रमा की सतह पर अध्ययन किया गया।
चंद्रयान-1की कुल लागत
“चंद्रयान-1” मिशन की कुल लागत करीब 386 करोड़ रुपये (करीब 56 मिलियन डॉलर) थी। यह मिशन भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा प्राथमिकता दी गई थी और इसने भारत को अंतरिक्ष में एक महत्वपूर्ण स्थान पर उठाने में मदद की।
चंद्रयान की खोज
चंद्रयान की खोज भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) द्वारा की गई थी। इस मिशन का मुख्य उद्देश्य चंद्रमा की सतह पर विभिन्न वैज्ञानिक अनुसंधान करना था। चंद्रयान-1 मिशन के तहत चंद्रमा के चारों ओर उपग्रह की यातायातिक दृष्टि से परिक्रमण किया गया और विभिन्न वैज्ञानिक उपकरणों के साथ चंद्रमा की सतह पर अनुसंधान किया गया।
चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर विभिन्न घटकों की जांच की, जैसे कि चंद्रमा की तापमान, चक्रित चट्टानों की विश्लेषण, गैसों की पहचान, रोजमापी की प्रक्रिया, आदि। इसमें विशेष ध्यान देने वाले क्षेत्र शामिल थे जो चंद्रमा के विविध पहलुओं की खोज में मदद कर सकते थे।
चंद्रयान-1 ने चंद्रमा पर किसकी खोज की
पानी की खोज
चंद्रयान-1 मिशन ने पानी की खोज उसके उपकरणों की मदद से की। मिशन में दो प्रमुख उपकरण शामिल थे जिनसे पानी की खोज की गई।
मून इम्पैक्ट प्रोब
चंद्रयान-1 के बोर्ड मून इम्पैक्ट प्रोब (MIP) ने चंद्रमा की सतह पर उतरकर टकराव किया था। इस प्रक्रिया में जब MIP चंद्रमा की सतह पर लंड किया, तो उसके द्वारा उत्पन्न होने वाले विभिन्न तत्वों की खोज की गई, जिसमें पानी भी शामिल था।
मानक विचारशील गैमा-रे लिएडिंग स्पेक्ट्रोमीटर (M3)
चंद्रयान-1 के ऊपरी उपग्रह चंद्रयान उपग्रह (Orbiter) में “मानक विचारशील गैमा-रे लिएडिंग स्पेक्ट्रोमीटर” (M3) उपकरण था जो चंद्रमा की सतह पर उपस्थित सामान्य और विशिष्ट घटकों की खोज करने के लिए डिज़ाइन किया गया था। इसके uमाध्यम से चंद्रमा की सतह पर पानी के प्रतिसारण की संभावना की जाती थी।
इन उपकरणों के माध्यम से चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा पर पानी की संभावना की खोज की और वैज्ञानिकों को इसके बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान की।
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अन्य खोज
चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा पर अपने उपकरणों की मदद से कई प्रकार की खोज की थी, जिनमें निम्नलिखित चीजों की जांच शामिल थी।
तापमान की खोज – चंद्रयान-1 के उपकरणों ने चंद्रमा की सतह की तापमान की माप की, जिससे यह विशेषता की गई कि चंद्रमा की सतह किस तरह से गर्मियों और सर्दियों में बदलती है।
चक्रित चट्टानों की खोज – चंद्रयान-1 के उपकरणों ने चंद्रमा की सतह पर चक्रित चट्टानों की विशेषताओं की जांच की, जो चंद्रमा के भूतपूर्व जीवन के बारे में महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान कर सकते थे।
गैसों की खोज – चंद्रयान-1 के उपकरणों ने चंद्रमा की सतह पर मौजूद गैसों की पहचान की, जिनमें हाइड्रोजन, हिलियम, आदि शामिल थे। यह जानकारी चंद्रमा के मौजूदा वातावरण के बारे में सूचना प्रदान कर सकती है।
यहाँ उपरोक्त खोजों के साथ, चंद्रयान-1 मिशन ने चंद्रमा की सतह पर विभिन्न वैज्ञानिक विश्लेषण की और चंद्रमा के विविध पहलुओं को समझने में मदद की।
Conclusion |
आशा है की आप इस आर्टिकल को अच्छे समझ गए होंगे और यदि आप के मन में इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल हो तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में msg कर सकते है।
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