ऐतिहासिक दृष्टि से बिहार भारत का एक समृद्ध एवं वैभवशाली क्षेत्र रहा हैं| बिहार की समृद्धि को देखते हुए इसे भारतीय इतिहास का गर्भगृह कहा जाता हैं| प्रागैतिहासिक काल से ही यह मानव सभ्यता एवं संस्कृति का एक महत्वपूर्ण केंद्र था जिसका देश के इतिहास और सांस्कृतिक जीवन में निर्णायक भूमिका रही हैं| प्राचीन इतिहास में बिहार तीन प्रमुख महाजनपदों मगध, अंग और वज्जि संघ के रूप में बंटा हुआ था|
बिहार का इतिहास
मगध और लिच्छवी गणराज्य के शासनकाल की कार्यपद्धति से ही भारत में आधुनिक प्रशासनिक व्यवस्था की शुरुआत हुई| दुनिया का पहला गणराज्य (लोकतांत्रिक व्यवस्था का जनक) वैशाली बिहार का ही अंग हैं| बिहार का वर्णन हमारे दो ग्रंथों रामायण एवं महाभारत में किया गया हैं| मर्यादा पुरुषोत्तम श्री राम ने बक्सर के निकट गुरुकुल में ऋषि विश्वामित्र से शिक्षा ग्रहण की थी दूसरी ओर बौद्ध धर्म के प्रवर्तक गौतम बुद्ध और जैन धर्म के 24वें तीर्थकर भगवान महावीर को बिहार की भूमि से ही ज्ञान प्राप्त हुआ था|
महाजनपद काल में बिहार
लगभग छठीं शताब्दी ई पू में बुद्ध के जन्म के पूर्व भारतवर्ष 16 महाजनपदों में बंटा था| 16 महाजनपदों का उल्लेख हमें बौद्ध-ग्रन्थ ‘अंगुत्तर निकाय’ एवं जैन ग्रंथ भगवती सूत्र में मिलता हैं| उस समय भारत के सोलह महाजनपदों में से तीन मगध, अंग और वज्जि बिहार में थे|
प्राचीन बिहार में धर्म सुधार आंदोलन
ईसा पूर्व छठी शताब्दी के आस-पास नई चिन्तन धाराओं ने जन्म लिया जिसे इतिहास में धार्मिक सुधार आंदोलन के नाम से जाना जाता हैं| उत्तर वैदिक काल कर्मकाण्डीय जटिलताओं और जातीय विषमताओं के साथ-साथ अनेक सामाजिक बुराइयों से भी ग्रसित हो चुका था, जिससे लोग त्रस्त थे| बौद्ध धर्म और जैन धर्म ने जब शांति और सामाजिक का बुराइयों से भी ग्रसित हो चुका था, जिससे लोग त्रस्त थे|
बौद्ध और जैन धर्म ने जब शांति और सामाजिक समरसता का प्रचार किया तो लोगों ने खुले दिल से स्वागत किया| बुद्ध और महावीर दोनों लगभग समकालीन थे और दोनों ने ही इस बात पर बल दिया की वास्तविक सुख भौतिक समृद्धि या धार्मिक अनुष्ठानों से नहीं बल्कि दया,दान मितव्ययिता जैसे मानवीय सरोकार वाले अच्छे सामाजिक कर्मों से मिलता हैं|
गौतम बुद्ध
गौतम बुद्ध के बचपन का नाम सिद्धार्थ था| बुद्ध का जन्म 563ई में कपिलवास्तु के लुम्बिनी में एक शाक्यकुल परिवार में हुआ था| बुद्ध के जन्म के सातवें दिन उनकी माता महामाया का निधन हो गया| इसलिए उनका लालन-पालन उनकी विमाता (मौसी) प्रजापति गौतमी ने किया| उनकी अपनी दो संतानें थी- नन्द(पुत्र) और रूपनंदा(पुत्री)|
बिहार में बौद्ध धर्म का उदय
गौतम बुद्ध द्वारा सुझाए गए चार आर्य सत्यों एवं इस पर आधारित अष्टांग मार्ग पर बौद्ध धर्म प्रतिष्ठित हैं| गौतम ने गया जिले के निरंजन नदी के तट (वर्तमान बोधगया) पर एक पीपल वृक्ष के नीचे 35 वर्ष की आयु में (528 ई) सर्वोच्य ज्ञान प्राप्त किया था| तब से उन्हें ‘बुद्ध’ (प्रबुद्ध व्यक्ति) तथा ‘तथागत’ (जिसने परम सत्य को पा लिया हो) कहा जाने लगा| बिहार के प्रबुद्धजनो ने बौद्ध धर्म को विश्व धर्म के रूप में प्रतिष्ठित करवाया| बौद्ध धर्म का प्रभाव आज भी विश्व के अनेक देशों में जैसे- पूर्वी एशिया के देशों-चीन , जापान, मंगोलिया , हांगकांग, लाओस, थाईलैंड, म्यांमार, वियतनाम, कोरिया,कम्पूचिया, ताईवान, भूटान, श्रीलंका, मलेशिया, इंडोनेशिया, सिंगापुर, आदि देशों में हैं|
बौद्ध धर्म के प्रतीक
घटना | प्रतीक |
जन्म | कमल व् सांड |
गृह त्याग | घोड़ा |
ज्ञान | पीपल(बोधिवृक्ष) |
निर्वाण | पद चिह्न |
मृत्यु (महापरिनिर्वाण) | स्तूप |
बौद्धकालीन बिहार की कुछ महत्वपूर्ण बातें-
- गौतम बुद्ध के काल में मगध साम्राज्य में 80 हज़ार ग्राम थे| बौद्ध ग्रंथों में मगध सम्राट बिम्बिसार को हज़ार ग्रामों का अधिपति बताया गया हैं| प्रत्येक ग्राम का एक प्रधान होता था| सभी ग्राम प्रधानों को गौतम बुद्ध ने राजगृह-प्रवास के दौरान लौकिक (व्यावहारिक ) बातों सहित दुराचार के 5 दुष्परिणामों से परिचित करते हुए उपदेश दिया था| तब के समय मगध की भाषा पालि थी|
- मगध की चर्चा अथर्ववेद, पुराण, बौद्ध एवं जैन ग्रंथों में हैं|
- मगध साम्राज्य वर्तमान पटना, नालंदा और गया जिलों के क्षेत्रों थे| इसकी राजधानी राजगृह (वर्तमान राजगीर) थी|