◾️नागरिकता का अर्थ व महत्व
🔸किसी अन्य आधुनिक राज्य की तरह भारत में दो तरह के लोग हैं, नागरिक और विदेशी|
🔸नागरिक भारतीय राज्य के पूर्ण सदस्य होते हैं और उनकी इस पर पूर्ण निष्ठा होती हैं|
🔸इन्हें सभी सिविल और राजनीतिक अधिकार प्राप्त होते हैं तथा विदेशी किसी अन्य राज्य के नागरिक होते हैं
- इसलिए उन्हें सभी नागरिक एवं राजनीतिक अधिकार प्राप्त नहीं होते हैं|
इनकी दो श्रेणी होती हैं – विदेशी मित्र एवं विदेशी शत्रु|
🔸विदेशी मित्र वे हैं, जिनके भारत के साथ सकारात्मक संबंध होते हैं|
🔸विदेशी शत्रु वे हैं, जिनके साथ भारत का युद्ध चल रहा हो| उन्हें कम अधिकार प्राप्त होते है तथा वे गिरफ्तारी और नजरबंदी के विरुद्ध सुरक्षित नहीं होते (अनुच्छेद 22)|
◾️संविधान भारतीय नागरिकों को निम्नलिखित अधिकार एवं विशेषधिकार प्रदान करता है| विदेशियों को नहीं :
1. धर्म , मूल वंश , जाति, लिंग या जन्म स्थान के आधार पर विभेद के विरुद्ध अधिकार ( अनुच्छेद 15)
2. लोक नियोजन के विषय में समता का अधिकार (अनुच्छेद 16)
3. वाक स्वतंत्रता एवं अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता, सम्मेलन, संघ , संचरण , निवास व व्यवसाय की स्वतंत्रता (अनुच्छेद 19)
4. संस्कृति और शिक्षा संबंधी अधिकार ( अनुच्छेद 29 व 30)
5. लोकसभा और राज्य विधानसभा चुनाव में मतदान का अधिकार|
6. संसद एवं राज्य विधानसभा की सदस्यता के लिए चुनाव लड़ने का अधिकार|
7. सार्वजनिक पदों, जैसे – राष्ट्रपति , उप-राष्ट्रपति , उच्चतम एवं उच्च न्यायालय के न्यायाधीश,
- राज्यों के राज्यपाल, महान्यायवादी एवं महाधिवक्ता की योग्यता रखने का अधिकार|
🔸इन सभी अधिकारों के साथ नागरिकों को भारत के प्रति कुछ कर्तव्यों का भी निर्वहन करना होता है|
जैसे – कर भुगतान, राष्ट्रीय ध्वज एवं राष्ट्रगान का सम्मान, देश की रक्षा आदि|
🔸भारत में नागरिक जन्म से या प्राकृतिक रूप से राष्ट्रपति बनने की योग्यता रखते हैं, जबकि अमेरिका में केवल जन्म से नागरिक राष्ट्रपति बन सकता हैं|
◾️संवैधानिक उपबंध
🔸संविधान के भाग -II में अनुच्छेद 5 से 11तक में नागरिकता के बारे में चर्चा की गई गई हैं | इस संबंध में इसमें स्थायी और विस्तृत उपबंध नहीं हैं,
- यह सिर्फ उन लोगों की पहचान करता हैं, जो संविधान लागू होने के समय ( 26 जनवरी 1950) भारत के नागरिक बने |
🔸इसमें न तो इनके अधिग्रहण एवं न ही नागरिकता की हानि की चर्चा की गई |
🔸यह संसद को इस बात का अधिकार देता हैं कि वह नागरिकता से संबंधित मामलों की व्यवस्था करने के लिए कानून बनाए|
🔸इसी प्रकार संसद ने नागरिक अधिनियम, 1955 को लागू किया, जिसका 1957, 1960, 1985, 1986, 1992, 2003, 2005 और 2015 में संशोधन किया गया|
◾️संविधान निर्माण के उपरांत ( 26 जनवरी, 1950 ) संविधान के अनुसार चार श्रेणियों के लोग भारत के नागरिक बने
1. एक व्यक्ति, जो भारत का मूल निवासी है और तीन में से कोई एक शर्त पूरी करता हो –
- i). यदि उसका जन्म भारत में हुआ हो
- ii). उसके माता-पिता में से किसी एक का जन्म भारत में हुआ हो
- iii). संविधान लागू होने के पांच वर्ष पूर्व से भारत में रह रहा हो|
2. एक व्यक्ति, जो पाकिस्तान से भारत आया हो और यदि उसके माता -पिता या दादा – दादी अविभाजित भारत में पैदा हुए हो
और निम्न में से कोई एक शर्त पूरी करता हो, तब वह भारत का नागरिक बन सकता है –
- i). यदि वह 19 जुलाई, 1948 से पूर्व स्थानांतरित हुआ हो, अपने प्रवसन की तिथि से उसने समान्यत: भारत में निवास किया हो
- ii). 19 जुलाई 1948 को या उसके बाद भारत में प्रवसन किया हो तो वह भारत के नागरिक के रूप में पंजीकृत हो, लेकिन ऐसे व्यक्ति का पंजीकृत होने के 6 माह तक भारत में निवास आवश्यक है ( अनुच्छेद 6)|
3. एक व्यक्ति, जो 1 मार्च 1947 के बाद भारत से पाकिस्तान स्थानांतरित हो गया हो,
लेकिन बाद में फिर भारत में पुनर्वास के लिए लौट आए तो वह भारत का नागरिक बन सकता है|
- Use पंजीकरण प्रार्थना – पत्र के बाद 6 माह तक रहना होगा (अनुच्छेद – 7) |
4. एक व्यक्ति, जिसके माता – पिता या दादा -दादी अविभाजित भारत में पैदा हुए हों लेकिन वह भारत के बाहर रह रहा हो |
- फिर भी वह भारत का नागरिक बन सकता है, यदि उसने भारत के नागरिक के रूप में पंजीकरण कूटनीतिज्ञ तरिके या पार्षदीय प्रतिनिधि के रूप में आवेदन किया हो |
- यह व्यवस्था भारत के बाहर रहने वाले भारतीयों के लिए बनाई गई है ताकि वे नागरिकता ग्रहण कर सके ( अनुच्छेद – 8)
कुल मिलाकर ये व्यवस्थाएं, नागरिकों की चर्चा करती हैं –
i). व्यक्ति जो भारत का मूल निवासी हो
ii). व्यक्ति पाकिस्तान से स्थानांतरित हुआ हो
iii). व्यक्ति पाकिस्तान स्थानांतरित हुआ हो, लेकिन बाद में लौट आया हो
iv). भारतीय मूल का व्यक्ति जो बाहर रह रहा हो|
नागरिकता संबंधी अन्य संवैधानिक प्रावधान इस प्रकार हैं-
1). वह व्यक्ति भारत का नागरिक नहीं होगा या भारत का नागरिक नहीं माना जाएगा , जो स्वेच्छा से किसी अन्य देश की नागरिकता ग्रहण कर लेगा (अनुच्छेद – 9) |
2.प्रत्येक व्यक्ति, जो भारत का नागरिक हैं या समझा जाता हैं, यदि संसद इस प्रकार के किसी विधान का निर्माण करें ( अनुच्छेद – 10 ) |
3. संसद को यह अधिकार हैं कि वह नागरिकता के अर्जन और समाप्ति के तथा नागरिकता से संबंधित अन्य सभी विषयों के संबंध में विधि बना सकती हैं (अनुच्छेद – 11) |
◾️नागरिकता अधिनियम 1955
🔸नागरिकता अधिनियम (1955) संविधान लागू होने के बाद अर्जन एवं समाप्ति के बारे में उपबंध करता हैं |
- इस अधिनियम को अब तक आठ बार संशोधित किया गया हैं|
1. नागरिकता (संशोधन ) अधिनियम 1957
2. निरस्त एवं संशोधन अधिनियम 1960
3. नागरिकता (संशोधन ) अधिनियम 1985
4. नागरिकता (संशोधन ) अधिनियम 1986
5. नागरिकता (संशोधन ) अधिनियम 1992
6. नागरिकता ( संशोधन ) अधिनियम 2003
7. नागरिकता (संशोधन ) अधिनियम 2005
8. नागरिकता (संशोधन ) अधिनियम 2015
🔸मूल रूप से, नागरिकता अधिनियम (1955) ने भी राष्ट्रमंडल नागरिकता प्रदान की हैं |
- लेकिन इस प्रावधान को नागरिकता (संशोधन ) अधिनियम, 2003 के द्वारा निरस्त कर दिया गया था |