भारत में प्रेस का विकास
भारत में प्रेस का विकास 1780 ई में हुआ था| भारत का पहला समाचार पत्र बंगाल गजट था| 1780 ई में जे के हिक्की ने बंगाल गजट नामक समाचार पत्र प्रकाशित करना आरम्भ किया था| प्रारम्भ में विलियम बोल्ट्स द्वारा एक समाचार-पत्र के प्रकाशन का प्रयास किया गया था किन्तु ईस्ट इंडिया कंपनी ने उसको इंग्लैंड भेज दिया|
समाचार-पत्रों का विकास
भारत में प्रिटिंग प्रेस की शुरुआत 16 वी सदी में उस समय हुई जब गोवा के पुर्तगाली पादरियों ने सन् 1557 में एक पुस्तक छापी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना पहला प्रिटिंग प्रेस सन् 1684 में बंबई में स्थापित किया।
लगभग 100 वर्षो तक कंपनी के अधिकार वाले प्रदेशो में कोई समाचार-पत्र नहीं छपा क्योकि कंपनी के कर्मचारी यह नहीं चाहते थे कि उनके अनैतिक, अवांछनीय तथा निजी व्यापार से जुड़े कारनामो की जानकारी ब्रिटेन पहुँचे।
भारत में पहला समाचार-पत्र निकालने का प्रयास कंपनी के असंतुष्ट कर्मचारियों ने ही किया था। सन् 1766 में कंपनी के असंतुष्ट कर्मचारी विलियम बोल्ट्स ने अपने द्धारा निकालने गए समाचार-पत्र में कोर्ट ऑफ़ डायरेक्टर्स की नीतियों के विरुद्ध लिखा, लेकिन, बोल्ट्स को शीघ्र ही इंग्लैंड भेज दिया गया।
समाचार- पत्रों का पत्रेक्षण
लॉर्ड वेलेजली ने 1799 ई में सभी समाचार-पत्रों पर सेंसर बैठा दिया| लॉर्ड वेलेजली ने 1799 ई में समाचार-पत्रों का पत्रेक्षण अधिनियम पारित कर दिया और समाचार-पत्रों पर युद्धकालीन सेंसर लागू कर दिया| 1807 ई में यह अधिनियम पत्रिकाओं, पैम्पलेट तथा पुस्तकों सभी पर लागू कर दिया गया| लॉर्ड हेस्टिंग ने 1818 ई में इस अधिनियम को रद्द कर दिया था|
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वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट 1878
वर्नाक्युलर प्रेस एक्ट 1878 ई में लॉर्ड लिटन के कार्यकाल (1876-1880 ई) में पारित हुआ था| इस अधिनियम को मुंह बंद करने वाला अधिनियम कहा गया| इस एक्ट के तहत जिला मजिस्ट्रेट को यह अधिकार था की वह किसी भी भारतीय भाषा के समाचार-पत्र से बांड पेपर पर हस्ताक्षर करवा ले की वह कोई भी ऐसी समग्री नहीं छापेगा जो सरकार के विरूद्ध हो|
कानून का विरोध करने वाले मुद्रणालयों की जमानत को मजिस्ट्रेट रद्द कर सकता था| इस अधिनियम के अधीन सोम प्रकाश , भारत मिहिर , ढाका प्रकाश , सहचर इत्यादि समाचार-पत्रों के विरुद्ध मामले दर्ज किए गए|
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1897 ई में उन्हें दो अंग्रेजों को हत्या के लिए, चापेकर बंधुओं को उत्तेजित करने (शिवाजी द्वारा अफजल खां के वध संबंधी लेख के आधार पर) के लिए 18 माह के कड़े कारावास का दंड दिया गया|
राजा राममोहन राय ने अपने विचारों को प्रेस के माध्यम से प्रचारित एवं प्रसारित किया| दिसम्बर 1821 में उन्होंने बांग्ला साप्ताहिक संवाद कौमुदी अथवा प्रज्ञा का चांद का प्रकाशन प्रारम्भ किया| इसके एक वर्ष पश्चात् इन्होने फ़ारसी भाषा में एक अन्य साप्ताहिक समाचार-पत्र मिरातुल अख़बार या बुद्धि दर्पण का प्रकाशन प्रारम्भ किया|
इंडियन मिरर
इंडियन मिरर अख़बार का प्रकाशन कलकत्ता से होता था| इंडियन मिरर की स्थापना (1861ई) का श्रेय देवेंद्रनाथ टैगोर तथा मनमोहन घोष को हैं|
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प्रेस अधिनियम या मेटकॉफ अधिनियम, 1835
कार्यवाहक गवर्नर-जनरल चार्ल्स मेटकॉफ ने भारतीय प्रेस के प्रति उदारवादी दृष्टिकोण अपनाया तथा 1823 के कुत्सित अनुज्ञप्ति नियमों को रद्द कर दिया। इस प्रयास के कारण मेटकॉफ को ‘भारतीय समाचार-पत्रों के मुक्तिदाता‘ की संज्ञा दी गयी।
1835 के इस नये प्रेस अधिनियम के अनुसार, प्रकाशक या मुद्रक को केवल प्रकाशन के स्थान की निश्चित सूचना ही सरकार को देनी थी और वह आसानी से अपना कार्य कर सकता था। यह कानून 1856 तक चलता रहा तथा इस अवधि में। देश में समाचार-पत्रों की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि हुई।
ग़दर साप्ताहिक पत्र
भारत को ब्रिटिश राज से मुक्त करने हेतु संयुक्त राज्य अमेरिका और कनाडा में लाला हरदयाल, सोहन सिहं भकना और करतार सिंह सराभा आदि ने मिलकर ग़दर आंदोलन की स्थापना की थी| इस पार्टी का मुख्य पत्र ग़दर एक साप्ताहिक पत्र था, जिसके प्रथम संस्करण का प्रकाशन 1 नवंबर 1913 को सैनफ्रांसिस्को से किया गया था| यह पत्र उर्दू में था|
9 दिसंबर 1913 से यह गुरुमुखी में भी छपने लगा| यह पत्र मराठी, हिंदी, अंग्रेजी, एवं गुरति में भी प्रकाशित हुआ|iska एक अंक पख्तूनी भाषा में भी छपा था|
FAQs
Q.1भारत में प्रेस की स्थापना कब हुई थी?
1684 में ईस्ट इंडिया कंपनी ने भारत में प्रिंटिंग प्रेस की स्थापना की। लेकिन भारत का पहला समाचार पत्र निकालने का श्रेय भी जेम्स ऑगस्टस हिकी नामक एक अंग्रेज को है, जिसने वर्ष 1780 में ‘बंगाल गजट’ का प्रकाशन किया था। भारत में समाचार पत्रों का इतिहास 232 वर्ष पुराना है।
Q.2 भारत में प्रेस का विकास कैसे हुआ?
भारतीय समाचार-पत्रों का इतिहास यूरोपीय लोगो के आने के साथ ही आरंभ हुआ। भारत में प्रिटिंग प्रेस की शुरुआत 16 वी सदी में उस समय हुई जब गोवा के पुर्तगाली ने सन् 1557 में एक पुस्तक छापी। ईस्ट इंडिया कंपनी ने अपना पहला प्रिटिंग प्रेस सन् 1684 में बंबई में स्थापित किया।
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