भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन | राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन अप्रत्यक्ष निर्वाचन पद्धति द्वारा होता है, जिसमे निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधित्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत व गुप्त मतदान द्वारा उसका निर्वाचन किया जाता है।

जिसमें निम्न लोग शामिल होते है-संसद के दोनों सदनों (लोकसभा व राज्यसभा) के निर्वाचित सदस्य, राज्य विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य,केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली व पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य ।

  • राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का समान प्रतिनिधित्व हो इसके लिए राज्य विधानसभाओं और संसद के मतों की संख्या निम्न प्रकार से निर्धारित होती है। इस आर्टिकल के माध्यम से जानते हैं की राष्ट्रपति के निर्वाचन की प्रक्रिया क्या होती हैं|

 

Pdf download

राष्ट्रपति पद की व्याख्या 

  • हमारा भारत 15 अगस्त, 1947 को अंग्रेजो के शासन से आज़ाद हुआ था| 26 जनवरी, 1950 को भारत को संविधान प्राप्त हुआ था। 26 जनवरी, 1950 को भारत में औपचारिक रूप से संविधान लागू कर दिया गया था।

भारत के प्रथम राष्ट्रपति डॉ राजेन्द्र प्रसाद बने। भारत के राष्ट्रपति गणराज्य देश के कार्यपालक होते हैं। अनुच्छेद 53 के अनुसार संघ की कार्यपालिका की शक्ति राष्ट्रपति पद में निहित होती हैं।

  • हमारे देश के राष्ट्रपति के पास पर्याप्त शक्ति होती हैं‌। जिससे वह देश में विपरीत परिस्थिति में आपातकाल की घोषणा कर सकते हैं और आपातकाल को हटा सकते हैं ।

भारत के राष्ट्रपति देश में युध्द की परिस्थिति की भी घोषणा कर सकते हैं। राष्ट्रपति देश का प्रथम नागरिक होता हैं। इसके लिए भारत का नागरिक होना अनिवार्य हैं। 

राज्य के नीति निदेशक तत्व Pdf Click here

भारत के राष्ट्रपति की योग्यताएं

अनुच्छेद 58 इस अनुच्छेद के अनुसार राष्ट्रपति के पद पर बैठने वाले व्यक्ति के लिए निम्न योग्यताएं निर्धारित हैं।

वह भारत का नागरिक हो तथा 35 वर्ष पूरे कर चुका हो।

वह लोकसभा का सदस्य निर्वाचित होने की योग्यता रखता हो तथा दिवालिया ना हो।

किसी न्यायालय द्वारा सज़ा प्राप्त ना हो तथा किसी लाभ के पद पर आसीन न हो।

अनुच्छेद 60 राष्ट्रपति सर्वोच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश के समक्ष पद एवं गोपनीयता की शपथ लेता है।

राष्ट्रपति पद उम्मीदवार किसी लाभप्रद सरकारी पद पर नहीं होना चाहिए। परन्तु निम्न पदों के लिए राष्ट्रपति पद के निर्वाचन में छूट दी गई हैं।

वर्तमान राष्ट्रपति

वर्तमान उपराष्ट्रपति

किसी भी राज्य के राज्यपाल

संघ या किसी राज्य के मंत्री

भारत के राष्ट्रपति का कार्यकाल

  • राष्ट्रपति का कार्यकाल 5 वर्षों का होता है किंतु राष्ट्रपति अपने पद पर तबतक बना रहेगा जबतक की उसका उत्तराधिकारी पद ग्रहण नहीं कर ले। (अनुच्छेद 56 के अनुसार)

अगर राष्ट्रपति का पद मृत्यु , त्याग पत्र अथवा महाभियोग के कारण खाली हो जाए तो इस स्थिति में नए राष्ट्रपति का चुनाव पद पर 6 महीने के भीतर होना जरूरी है। तब तक उपराष्ट्रपति राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता हैं|

  • नए राष्ट्रपति का चुनाव शेष अवधि के लिए न करके 5 वर्षों के लिए किया जाता है| यदि उपराष्ट्रपति भी अनुपस्थित हो, तो संसद द्वारा पारित राष्ट्रपति उत्तराधिकार अधिनियम, 1969 के अनुसार सर्वोच्च न्यायालय का मुख्य न्यायाधीश राष्ट्रपति के रूप में कार्य करता है।

अगर मुख्य न्यायाधीश भी अनुपस्थित हो, तो सर्वोच्च न्यायालय के वरिष्ठ न्यायाधीश राष्ट्रपति के रूप में कार्य करेगा (अनुच्छेद 56 (2)          

राष्ट्रपति की सैलरी एवं भत्ते

  • राष्ट्रपति का सैलरी 5 लाख प्रतिमाह है, राष्ट्रपति का वेतन पर कोई टैक्स नहीं लगता है। इसके अतिरिक्त उन्हें नि:शुल्क आवास व संसद द्वारा स्वीकृत अन्य भत्ते प्राप्त होते हैं।

सेवानिवृत्ति के बाद राष्ट्रपति को 9 लाख रुपए वार्षिक पेंशन प्राप्त होती है। भारतीय संविधान के अनुच्छेद 59 के अनुसार, राष्ट्रपति के कार्यकाल के दौरान सैलरी तथा भत्ते में किसी प्रकार की कमी नहीं की जा सकती है।

राष्ट्रपति का निर्वाचन

राष्ट्रपति पर महाभियोग प्रक्रिया

भारतीय संविधान के अनुच्छेद 61 (1) में राष्ट्रपति को पद से हटाने की प्रक्रिया का उल्लेख किया गया है जिसे महाभियोग प्रक्रिया कहा जाता है।

राष्ट्रपति को उसकी पद अवधि की समाप्ति के पूर्व संविधान के उल्लंघन के आरोप में महाभियोग लगाकर पद से हटाया जा सकता है,

  • परंतु इसके लिए आवश्यक है कि 14 दिन पहले राष्ट्रपति को लिखित सूचना दी जाए, बशर्ते उस सदन के एक चौथाई सदस्य हस्ताक्षर होना चाहिए।

संसद का वह सदन जिसमें महाभियोग का प्रस्ताव पेश हुआ हो उसके दो तिहाई सदस्य द्वारा पारित कर देने पर प्रस्ताव दूसरे सदन में जाता है, तब दूसरा सदन राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोपों को जांच करता है।

  • यदि जांच में राष्ट्रपति पर लगाए गए आरोप सही हो जाता है, तब राष्ट्रपति पर महाभियोग की प्रक्रिया पूरी की जाती हैं और उस स्थिति में राष्ट्रपति को पद त्याग करना होता है।

राष्ट्रपति की शक्तियां एवं अधिकार

भारतीय संविधान के तहत भारत के राष्ट्रपति को निम्न प्रकार की शक्तियां एवं अधिकार प्राप्त है जैसे-

1.कार्यपालिका शक्तियां

2.विधायी शक्तियां

3.न्यायिक शक्तियां

4.सैन्य शक्तियां 

5.वीटो शक्तियां

6.आपातकालीन शक्तियां

1. कार्यपालिका शक्तियां

केंद्र सरकार की समस्त शक्तियां राष्ट्रपति के हाथों में निहित होती है। राष्ट्रपति के नाम से देश की नीतियों का संचालन होता है। राष्ट्रपति को निम्न पदों पर नियुक्ति करने का अधिकार है – 

प्रधानमंत्री के सलाहकार मंत्रीपरिषद के अन्य सदस्यों

सर्वोच्च एवं उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीशों

भारत के नियंत्रक एवं महालेखा परीक्षक

भारत के महान्यायवादी

राज्यों के राज्यपाल

मुख्य चुनाव आयुक्त एवं अन्य चुनाव आयुक्त

संघ लोक सेवा आयोग के अध्यक्ष और अन्य सदस्यों

वित्त आयोग, भाषा आयोग, पिछड़ा वर्ग आयोग, राष्ट्रीय महिला आयोग, मानवाधिकार आयोग, अल्पसंख्यक आयोग एवं अनुसूचित क्षेत्रों के प्रशासन के संबंध में रिपोर्ट देने वाले आयोग के सदस्यों

राष्ट्रपति विदेशी राजनयिकों का आमंत्रण-पत्र स्वीकार करता है तथा राजदूतों को नियुक्ति पत्र जारी करता है।

2. विधायी शक्तियां

राष्ट्रपति संसद का अभिन्न अंग होता है। राष्ट्रपति लोकसभा का प्रथम सत्र को संबोधित करता है तथा संयुक्त अधिवेशन बुलाकर अभी भाषण देने की शक्तियां प्राप्त है।

राष्ट्रपति को संसद सत्र आहूत, सत्रावसान करना एवं लोकसभा को भंग करने की शक्ति भी रखता है।

नए राज्यों के निर्माण राज्य की सीमा में परिवर्तन संबंधित विधेयक, धन विधेयक (अनुच्छेद – 110) या संचित निधि से व्यय करने वाला विधेयक (अनुच्छेद – 117 (3) एवं राज्य हित से जुड़े विधेयक बिना राष्ट्रपति के पूर्व अनुमति के संसद में प्रस्तुत नहीं होते हैं।

राष्ट्रपति लोकसभा के लिए आंग्ल भारतीय समुदाय से 2 सदस्य तथा राज्यसभा के कला, साहित्य, विज्ञान, समाज सेवा क्षेत्र के 12 सदस्यों को मनोनीत करने का शक्तियां प्राप्त है।

3. न्यायिक / क्षमादान शक्तियां

भारतीय संविधान का अनुच्छेद 72 के अनुसार राष्ट्रपति को किसी अपराधी को सजा को क्षमा करने, उसका प्रविलंवन करने, परिहार और सजा लघुकरन करने का अधिकार प्राप्त है। राष्ट्रपति को मृत्युदंड माफ करने का भी अधिकार प्राप्त है।

क्षमा :- दंड और बंदी कारण दोनों हटा दिया जाता है तथा दोषी को मुक्त कर दिया जाता है।

प्रविलंवन :- राष्ट्रपति किसी धन पर रोक लगाता है ताकि दोषी व्यक्ति क्षमा याचना कर सके।

परिहार :- दंड के स्वरूप में बिना परिवर्तन किए हुए उसकी अवधि कम कर दी जाती है।

लघुकरण :- दंड के स्वरूप में परिवर्तन कर दिया जाता है।

राष्ट्रपति शासन प्रशासन द्वारा प्राप्त सजा या कोर्ट मार्शल की सजा को माफ कर सकता है।

राष्ट्रपति अनुच्छेद – 143 के अनुसार किसी भी सार्वजनिक हित के प्रश्न पर सर्वोच्च न्यायालय से परामर्श लेने का अधिकार रखता है।

4.सैन्य शक्तियां

भारत के राष्ट्रपति के पास सैन्य बलों की सर्वोच्च कमांडर होता है। राष्ट्रपति को युद्ध और शांति की घोषणा करने तथा सैन्य बलों कोविस्तार करने हेतु आदेश देने की शक्ति प्राप्त है।

5. वीटो शक्तियां 

जब राष्ट्रपति किसी विधेयक पर अनुमति देने से मना कर दे तो उसे उपर्युक्त नाम दिया जाता है अब तक के राष्ट्रपति ने दो विधेयकों पर इस वीटो का प्रयोग किया है

1954 पेप्सू विनियोग विधेयक (डॉक्टर राजेंद्र प्रसाद)

1991 सांसदों के वेतन भत्ते और पेंशन संशोधन विधेयक (आर वेंकटरमन)

  1.  जेबी वीटो /पॉकेट वीटो

जब राष्ट्रपति किसी विधेयक को ना तो अनुमति प्रदान करें और ना वापस लौटाए और ना ही मना करें तो ऐसी शक्ति को पॉकेट जेबी वीटो कहा जाता है|

  • इस वीटो का उपयोग राष्ट्रपति ने एक बार डाकघर संशोधन विधेयक 1986 के संदर्भ में तत्कालीन राष्ट्रपति ज्ञानी जैल सिंह ने किया था

 

FAQ

Q.1 भारत की पहली महिला राष्ट्रपति कौन हैं?

Ans. प्रतिभा पाटिल भारत की पहली महिला राष्ट्रपति थी| उन्होंने 25 जुलाई, 2007 से 25 जुलाई 2012 तक इस पद पर कार्य किया । भारत की 12 वीं राष्ट्रपति थीं । जबकि वर्तमान में भारत की 15वीं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू देश की दूसरी महिला राष्ट्रपति हैं ।  25 जुलाई, 2022 को इनकी नियुक्ति हुई है।

Q.2 भारत के प्रथम राष्ट्रपति का क्या नाम था?

Ans. 26 नवंबर 1949 को संविधान का निर्माण होने के पश्चात्य   डॉ. राजेंद्र प्रसाद को भारत के पहले राष्ट्रपति के रूप में चुना गया था|

Q.3 भारत के राष्ट्रपति की नियुक्ति कौन करता है?

Ans. राष्ट्रपति का चुनाव एक निर्वाचक मंडल के सदस्यों द्वारा किया जाता है जिसमें संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य और राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों दिल्ली और पांडिचेरी की विधान सभाओं के निर्वाचित सदस्य शामिल होते हैं।

Q.4 भारत में अब तक कितने राष्ट्रपति की नियुक्ति हुई हैं?

Ans. 1950 में भारतीय संविधान को अपनाने के बाद  जब भारत को एक गणतंत्र घोषित किया गया था| इस पद की स्थापना के बाद से भारत के 15 राष्ट्रपति नियुक्त हुए हैं।

 

 

Conclusion 

 

आशा है की आप इस आर्टिकल को अच्छे समझ गए होंगे और अपनी तैयार को बेहतर बनाएंगे| क्योकि परिश्रम ही सफलता की कुंजी है, जितना आप परिश्रम करेंगे उतना ही आप सफल होंगे| यदि आप के मन में इस आर्टिकल से सम्बंधित कोई सवाल हो तो आप मुझे कमेंट बॉक्स में msg कर सकते हैं|

भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन Pdf Download करने के लिए Click करें –

 Download

 

Also Read

मौलिक कर्त्तव्य (Fundamental Duties) PDF Download

संविधान संशोधन की प्रक्रिया Pdf Download| संविधान संशोधन की पूरी लिस्ट

Student credit card

 बिहार का भूगोल

 

 

 

 

 

 

1 thought on “भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन | राष्ट्रपति की शक्तियां और कार्य”

Leave a Comment