संविधान के भाग V के अनुच्छेद 52 से 78 तक में संघ की कार्यपालिका का वर्णन हैं| संघ की कार्यपालिका में राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति, प्रधानमंत्री, मंत्रिमंडल तथा महान्यायवादी शामिल होते हैं| राष्ट्रपति, भारत का राज्य प्रमुख होता हैं| वह भारत का प्रथम नागरिक है और राष्ट्र की एकता, अखंडता एवं सुदृढ़ता का प्रतिक हैं|
भारत के राष्ट्रपति का निर्वाचन
राष्ट्रपति का निर्वाचन जनता प्रत्यक्ष रूप से नहीं करती बल्कि एक निर्वाचन मंडल के सदस्यों द्वारा उसका निर्वाचन किया जाता हैं| इसमें निम्न लोग शामिल होते हैं|
- संसद के दोनों सदनों के निर्वाचित सदस्य
- राज्य विधानसभा के निर्वाचित सदस्य
- केंद्रशासित प्रदेशों दिल्ली व् पुडुचेरी विधानसभाओं के निर्वाचित सदस्य
इस प्रकार संसद के दोनों सदनों के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानसभाओं के मनोनीत सदस्य, राज्य विधानपरिषदों (द्विसदनीय विधायिका के मामलों में) के सदस्य (निर्वाचित व् मनोनीत) और दिल्ली तथा पुडुचेरी विधानसभा के मनोनीत सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचित में भाग नहीं लेते हैं| जब कोई सभा विघटित हो गयी हो| तो उसके सदस्य राष्ट्रपति के निर्वाचन में मतदान नहीं कर सकते| उस स्थिति में भी जबकि विघटित सभा का चुनाव राष्ट्रपति के निर्वाचन से पूर्व न हुआ हो|
संविधान में यह प्रावधान हैं की राष्ट्रपति के निर्वाचन में विभिन्न राज्यों का प्रतिनिधित्व समान रूप से हो, साथ ही राज्यों तथा संघ के मध्य भी समानता हो इसे प्राप्त करने के लिए, राज्य विधानसभाओं तथा संसद के प्रत्येक सदस्य के मतों की संख्या निम्न प्रकार निर्धारित होती हैं|
- प्रत्येक विधानसभा के निर्वाचित सदस्य के मतों की संख्या, उस राज्य की जनसंख्या को, उस राज्य की विधानसभा के निर्वाचित सदस्यों तथा 1000 के गुणनफल से प्राप्त संख्या द्वारा भाग देने पर प्राप्त होती हैं|
एक विधायक के मत का मूल्य= राज्य की कुल जनसंख्या /राज्य विधानसभा के निर्वाचित कुल सदस्य X 1/1000
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- संसद के प्रत्येक सदन के निर्वाचित सदस्यों के मतों की संख्या, सभी राज्यों के विधायकों की मतों के मूल्य को संसद के कुल सदस्यों की संख्या से भाग देने पर प्राप्त होती हैं|
एक संसद सदस्य के मतों के मूल्य = सभी राज्यों के विधायकों के मतों का कुल मूल्य/ संसद के निर्वाचित सदस्यों की कुल सदस्य संख्या
राष्ट्रपति का चुनाव आनुपातिक प्रतिनिधत्व के अनुसार एकल संक्रमणीय मत और गुप्त मतदान होता हैं| किसी उम्मीदवार को, राष्ट्रपति के चुनाव ने निर्वाचित होने के लिए, मतों का एक निश्चित भाग प्राप्त करना आवश्यक हैं| मतों का यह निश्चित भाग, कुल वैध मतों की, निर्वाचित होने वाले कुल उम्मीदवारों की संख्या में एक जोड़कर प्राप्त संख्या द्वारा, भाग देने पर भागफल में एक जोड़कर प्राप्त होता हैं|
निश्चित मतों का भाग= कुल वैध मत/1 +1 +1
राष्ट्रपति की शक्तियां व कर्तव्य
राष्ट्रपति द्वारा प्रयोग की जाने वाली शक्तियां व किये जाने वाले कार्य निम्नलिखित हैं|
- कार्यकारी शक्तियां
- विधायी शक्तियां
- वित्तीय शक्तियां
- न्यायिक शक्तियां
- कूटनीतिक शक्तियां
- सैन्य शक्तियां
- आपातकालीन शक्तियां
राष्ट्रपति की पदावधि
राष्ट्रपति की पदावधि उसके पद धारण करने की तिथी से पांच वर्ष तक होती हैं| हालांकि वह अपनी पदावधि में किसी भी समय अपना त्यागपत्र उपराष्ट्रपति को दे सकता हैं| इसके अतिरिक्त, उसे कार्यकाल पूरा होने से पूर्व महाभियोग चलकर भी उसके पद से हटाया जा सकता हैं| जब तक राष्ट्रपति पद कोई ग्रहण न ले राष्ट्रपति अपने पांच वर्ष के कार्यकाल के उपरांत भी पद पर बना रह सकता है| वह इस पद पर पुन:निर्वाचित हो सकता हैं वह कितनी बार भी निर्वाचित हो सकता हैं| लेकिन अमेरिका में एक व्यक्ति दो बार से अधिक राष्ट्रपति नहीं बन सकता|