भारत के राज्य और केंद्रशासित प्रदेश का गठन Pdf Download

1950 में संविधान ने भारतीय संघ के राज्यों को चार प्रकार से वर्गीकृत किया – भाग क, भाग ख , भाग ग और भाग घ  |

🔸  आरम्भ में राज्यों की संख्या 29 थी|

🔸भाग क में वे राज्य थे, जहां ब्रिटिश भारत में गर्वनर का शासन था|

🔸भाग ख में 9 राज्य विधानमंडल के साथ शाही शासन|

🔸भाग ग में ब्रिटिश भारत के मुख्य आयुक्त का शासन एवं कुछ में शाही शासन था| भाग ग में राज्य (कुल 10) का केंद्रीकृत प्रशासन था|

🔸भाग घ में केवल अंडमान एवं निकोबार द्वीप को रखा गया था|

◾️धर आयोग और जेवीपी समिति

🔸अक्टूबर 1953 में भारत सरकार को भाषा के आधार पर पहले राज्य के गठन के लिए मजबूर होना पड़ा, जब मद्रास से तेलुगु भाषी क्षेत्रों को पृथक कर आंध्रप्रदेश  का गठन किया गया|

🔸इसके लिए एक लंबा विरोध आंदोलन हुआ, जिसके अंतर्गत 56 दिनों की भूख हड़ताल के बाद एक कांग्रेसी कार्यकर्ता पिट्टी श्रीरामुलु का निधन हो गया|

◾️फजल अली आयोग

🔸आंध्र प्रदेश के निर्माण से अन्य क्षेत्रों से भी भाषा के आधार पर राज्य बनाने की मांग उठने लगी| इसके कारण भारत सरकार को (दिसंबर  1953 ) एक तीन सदस्य राज्य पुनर्गठन आयोग, फजल अली की अध्यक्षता में गठित करने के लिए विवश होना पड़ा|

🔸इसके अन्य दो सदस्य थे  – के. एम. पणिक्कर और एच. एन. कुंजरू| इसके अपनी रिपोर्ट 1955 में पेश की और इस बात को व्यापक रूप से स्वीकार किया कि राज्यों के पुनर्गठन में भाषा को मुख्य आधार बनाया जाना चाहिए|

🔸लेकिन इसने ‘ एक राज्य एक भाषा ‘ के सिद्धांत को अस्वीकार कर दिया| इसका मत था कि किसी भी राजनीतिका इकाई को पुननिर्धारण में भारत की एकता को प्रमुखता दी जानी चाहिए|  समिति ने किसी राज्य पुनर्गठन योजना के लिए चार बड़े काकी पहचान कारकों की पहचान की :

अ ). देश की एकता एवं सुरक्षा सुरक्षा एवं संरक्षण|

ब ). भाषायी व सांस्कृतिक एकरूपता|

स ). वित्तीय, आर्थिक  एवं प्रशासनिक तर्क|

द ). प्रत्येक राज्य एवं पूरे देश में लोगों के कल्याण की योजना और इसका संवर्धन|

◾️1956 के बाद बनाए गए नए राज्य एवं संघ शासित क्षेत्र 

🔸1956 में व्यापक स्तर पर राज्यों के पुनर्गठन के बावजूद भारत के राजनीतिक मानचित्र व्यापक विभेदता व राजनीतिक दबाव के चलते परिवर्तन की आवश्यकता महसूस की गई| भाषा या सांस्कृतिक एकरूप एवं अन्य कारणों के चलते दूसरे राज्यों से अन्य राज्यों के निर्माण की मांग उठी|

महाराष्ट्र और गुजरात : 1960 में द्विभाषी राज्य बंबई को दो पृथक राज्यों में विभक्त किया गया – महाराष्ट्र मराठी भाषी लोगों के लिए एवं गुजरात गुजराती भाषी लोगों के लिए |गुजरात भारतीय संघ का 15वां राज्य था|

दादरा एवं नागर हवेली : 1954 में इसके स्वतंत्र होने से पूर्व यहां पुर्तगाल का शासन था| 10वें संविधान संशोधन अधिनियम 1961 द्वारा इसे संघ शासित क्षेत्र में परिवर्तत कर दिया गया|

गोवा, दमन एवं दीव : 1961 में पुलिस कार्यवाही के माध्यम से भारत में इन तीन क्षेत्रों को अधिगृहीत किया गया, 12 वें संविधान संशोधन अधिनियम,1962 के द्वारा इन्हें संघ शासित क्षेत्रों के रूप में स्थापित किया गया| बाद में 1987 ई. में गोवा को एक पूर्ण राज्य बना दिया गया| इसी तरह दमन और दीव को पृथक केंद्रशासित प्रदेश बना दिया गया|

पुदुचेरी : पुडुचेरी का क्षेत्र पूर्व फ्रांसीसी गठन का स्वरूप था, जिसे भारत में पुदुचेरी, कराइल, माहे और यमन के रूप में जाना गया| 1954 में फ्रांस ने इसे भारत के सुपुर्द कर दिया|

  • इस तरह 1962 तक इसका प्रशासन  ‘ अधिगृहीत क्षेत्र ‘ की तरह चलता रहा| फिर इसे 14वें संविधान संशोधन अधिनियम द्वारा संघ शासित प्रदेश बनाया गया|

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