जारीकर्ता
अंतर्राष्ट्रीय NGO ‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’
ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल
‘ट्रांसपेरेंसी इंटरनेशनल’ एक अंतर्राष्ट्रीय गैर-सरकारी संगठन है, जिसकी स्थापना वर्ष 1993 में बर्लिन (जर्मनी) में की गई थी।
इसका प्राथमिक उद्देश्य नागरिक उपायों के माध्यम से वैश्विक भ्रष्टाचार का मुकाबला करना और भ्रष्टाचार के कारण उत्पन्न होने वाली आपराधिक गतिविधियों को रोकने हेतु कार्रवाई करना है।
इसके प्रकाशनों में वैश्विक भ्रष्टाचार बैरोमीटर और भ्रष्टाचार बोध सूचकांक शामिल हैं।
सूचकांक का उद्देश्य
विभिन्न देशों की शासन व्यवस्था का भ्रष्टाचार के संदर्भ में तुलनात्मक अध्ययन
भारत का स्थान
2021 में 180 देशों में 85th
2020 में 180 देशों में 86
2019 में 180 देशों में 80
प्रथम स्थान
फिनलैंड, न्यूजीलैंड और डेनमार्क (संयुक्त)
अंतिम स्थान – दक्षिण सूडान
महत्वपूर्ण तथ्य
🔸 सूचकांक में 0 से 100 तक के स्तर का पैटर्न
🔸 100 का अर्थ सबसे कम भ्रष्टाचार
🔸 0 का अर्थ सर्वाधिक भ्रष्टाचार
🔸 भारत का स्कोर वैश्विक औसत और एशिया-प्रशांत दोनों औसत से नीचे|
भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसियाँ:
🔸भ्रष्टाचार विरोधी एजेंसी या कमज़ोर संस्थानों वाले देशों को भ्रष्टाचार विरोधीएजेंसियों के सिद्धांतों पर वर्ष 2012 के जकार्ता स्टेटमेंट, कोलंबो कमेंट्री और क्षेत्रीय प्रतिबद्धताओं
- जैसे कि टीनिवा विज़न (Teieniwa Vision), भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन द्वारा आवश्यक अन्य सभी कदमों के साथ बनाए रखा जाना चाहिये।
🔸भ्रष्टाचार के खिलाफ संयुक्त राष्ट्र सम्मेलन एकमात्र कानूनी रूप से बाध्यकारी सार्वभौमिक भ्रष्टाचार-विरोधी साधन है।
भ्रष्टाचार से लड़ने के लिये कानूनी ढाँचा:
🔸भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (Prevention of Corruption Act), 1988 में लोक सेवकों द्वारा किये जाने वाले भ्रष्टाचार के संबंध में दंड का प्रावधान है,
- और उन लोगों के लिये भी जो भ्रष्टाचार को बढ़ावा देने में शामिल हैं।
🔸वर्ष 2018 में इस अधिनियम में संशोधन किया गया, जिसके अंतर्गत रिश्वत लेने के साथ ही रिश्वत देने को भी अपराध की श्रेणी के तहत रखा गया।
🔸धन शोधन निवारण अधिनियम (Prevention of Money Laundering Act), 2002 का उद्देश्य भारत में
- धन शोधन (Money Laundering) के मामलों को रोकना और आपराधिक आय के उपयोग पर प्रतिबंध लगाता है।
🔸इसमें धन शोधन के अपराध के लिये सख्त सज़ा का प्रावधान है, जिसमें 10 साल तक की कैद
- और आरोपी व्यक्तियों की संपत्ति की कुर्की (यहाँ तक कि जाँच के प्रारंभिक चरण में ही) भी शामिल है।
🔸कंपनी अधिनियम (The Companies Act), 2013 कॉर्पोरेट क्षेत्र को स्वनियमन का अवसर देकर इस क्षेत्र में भ्रष्टाचार और धोखाधड़ी की रोकथाम करता है।
- ‘धोखाधड़ी’ शब्द की एक व्यापक परिभाषा है, इसे कंपनी अधिनियम के अंतर्गत एक दंडनीय (Criminal) अपराध माना गया है।
🔸विशेष रूप से धोखाधड़ी से जुड़े मामलों के लिये भारत सरकार के कॉर्पोरेट मामलों के मंत्रालय (Ministry of Corporate Affair) के अंतर्गत गंभीर धोखाधड़ी जाँच
- कार्यालय (Serious Frauds Investigation Office) की स्थापना की गई है, जो सफेदपोश (White Collar) और कंपनियों में अपराधों से निपटने हेतु ज़िम्मेदार है।
SFIO कंपनी अधिनियम के प्रावधानों के अंतर्गत जाँच करता है।
भारतीय दंड संहिता (The Indian Penal Code- IPC), 1860 के अंतर्गत रिश्वत, धोखाधड़ी और आपराधिक विश्वासघात से संबंधित मामलों को कवर किया गया है।