संविधान के भाग XVIII में अनुच्छेद 352 से 360 तक आपातकालीन प्रावधान उल्लिखित हैं| ये प्रावधान केंद्र को किसी भी असामान्य स्थिति से प्रभावी रूप से निपटने में सक्षम बनाते हैं| संविधान में इन प्रावधानों को जोड़ने का उद्देश्य देश की संप्रभुता, एकता, अखंडता, लोकतान्त्रिक राजनैतिक व्यवस्था तथा संविधान की सुरक्षा करना हैं|
आपातकालीन प्रावधान का आरंभ
भारत में आपातकाल (Emergency) का प्रावधान पहली बार 26 जून 1975 को लागू हुआ था। यह आपातकाल 21 महीने तक चला और 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ। इस अवधि के दौरान, तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकाल की घोषणा की थी, जिसे ‘आंतरिक अशांति’ के आधार पर लागू किया गया था।
संविधान में तीन प्रकार के आपातकाल को निर्दिष्ट किया गया हैं|
- युद्ध, ब्रह्म आक्रमण और सशस्त्र विद्रोह के कारन आपातकाल (अनुच्छेद 352), को राष्ट्रीय आपातकाल के नाम से जाना जाता हैं| किन्तु संविधान में इस प्रकार आपातकाल के लिए आपातकाल की घोषणा वाक्य का प्रयोग किया हैं|
- राज्यों में संवैधानिक तंत्र की विफलता के कारण आपातकाल को राष्ट्रपति शासन (अनुच्छेद 356) के नाम से जाना जाता हैं – राज्य आपातकाल अथवा संवैधानिक आपातकाल शब्द का प्रयोग नहीं किया हैं|
- भारत की वित्तीय स्थायित्व अथवा साख के खतरे के कारण अधिरोपित आपातकाल, वित्तीय आपातकाल (अनुच्छेद 360) हैं|
आपातकालीन प्रावधान के भाग
भारतीय संविधान में आपातकालीन प्रावधानों को अनुच्छेद 352 से 360 के अंतर्गत शामिल किया गया है। ये प्रावधान भारत की सुरक्षा, स्थिरता और अखंडता की रक्षा के लिए बनाए गए हैं। मुख्य रूप से तीन प्रकार के आपातकाल की व्यवस्था की गई है।
राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency)
अनुच्छेद 352- यह आपातकाल तब घोषित किया जा सकता है जब भारत की सुरक्षा पर युद्ध, बाहरी आक्रमण, या सशस्त्र विद्रोह के कारण खतरा हो।राष्ट्रपति इसे घोषित करते हैं और इसे संसद की स्वीकृति मिलनी आवश्यक है।इस आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार की शक्ति बढ़ जाती है और राज्यों की शक्तियों में कटौती हो जाती है।
भारत में राष्ट्रीय आपातकाल की घोषणा
भारत में राष्ट्रीय आपातकाल (National Emergency) अब तक तीन बार लागू हुआ है।
1962- चीन के साथ युद्ध के दौरान, 26 अक्टूबर 1962 को राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया गया था। यह आपातकाल 10 जनवरी 1968 तक चला।
1971- पाकिस्तान के साथ युद्ध के दौरान, 3 दिसंबर 1971 को राष्ट्रीय आपातकाल लागू किया गया। यह आपातकाल 1977 तक जारी रहा, जिसे बाद में 1975 में घोषित आंतरिक आपातकाल के साथ मिला दिया गया था।
1975- आंतरिक अशांति के आधार पर, 25 जून 1975 को आपातकाल घोषित किया गया। यह आपातकाल 21 मार्च 1977 को समाप्त हुआ।इन तीनों आपातकाल के दौरान संविधान के अनुच्छेद 352 के तहत आपातकालीन शक्तियों का प्रयोग किया गया।
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राज्य आपातकाल (President’s Rule)
अनुच्छेद 356- इसे तब लागू किया जाता है जब राज्य सरकार संविधान के प्रावधानों के अनुसार कार्य करने में असमर्थ हो।राष्ट्रपति राज्य में राष्ट्रपति शासन लागू कर सकते हैं और राज्य की विधानसभा को भंग या निलंबित कर सकते हैं।यह अवधि 6 महीने तक हो सकती है, लेकिन इसे अधिकतम 3 वर्षों तक बढ़ाया जा सकता है, बशर्ते संसद की स्वीकृति प्राप्त हो।
भारत में राज्य आपातकालीन की घोषणा
भारत में राज्य आपातकाल (President’s Rule), जिसे राष्ट्रपति शासन के नाम से भी जाना जाता है, कई बार लागू किया गया है। यह प्रावधान संविधान के अनुच्छेद 356 के तहत आता है और तब लागू किया जाता है जब किसी राज्य में संविधान के अनुसार शासन चलाना संभव नहीं होता।अब तक, राज्य आपातकाल सैकड़ों बार विभिन्न राज्यों में लागू किया गया है। हालाँकि, एक सटीक संख्या देना कठिन है क्योंकि यह समय-समय पर विभिन्न राज्यों में लागू होता रहा है। कुछ प्रमुख उदाहरण निम्नलिखित हैं।
1951- पहली बार पंजाब में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।
1977- केंद्र सरकार के बदलने के बाद कई राज्यों में राष्ट्रपति शासन लगाया गया।
1992- बाबरी मस्जिद विध्वंस के बाद कई उत्तर भारतीय राज्यों में राष्ट्रपति शासन लागू किया गया।प्रत्येक बार राज्य आपातकाल लागू होने के पीछे अलग-अलग कारण और परिस्थितियाँ होती हैं, जैसे कि राजनीतिक अस्थिरता, कानून और व्यवस्था की स्थिति, या किसी राज्य सरकार का गिरना।
वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency)
अनुच्छेद 360- जब देश की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा हो, तब राष्ट्रपति वित्तीय आपातकाल घोषित कर सकते हैं।इस आपातकाल के दौरान केंद्र सरकार राज्यों के वित्तीय मामलों पर नियंत्रण कर सकती है।सभी सरकारी कर्मचारियों की सैलरी और भत्तों में कटौती की जा सकती है।आपातकाल के दौरान नागरिक अधिकारों में भी कुछ हद तक कटौती की जा सकती है, खासकर राष्ट्रीय आपातकाल के समय। इन प्रावधानों का उद्देश्य संकट के समय में देश की अखंडता और सुरक्षा को बनाए रखना है।
भारत में वित्तीय आपातकाल की घोषणा
भारत में वित्तीय आपातकाल (Financial Emergency), जिसे संविधान के अनुच्छेद 360 के तहत लागू किया जा सकता है, अब तक कभी भी लागू नहीं किया गया है। यह प्रावधान तब इस्तेमाल किया जा सकता है जब देश की वित्तीय स्थिरता या साख को खतरा हो, लेकिन आज तक इसकी आवश्यकता नहीं पड़ी है।
FAQ’s |
Q.1 संविधान के किस अनुच्छेद के तहत राष्ट्रीय आपातकाल घोषित किया जाता है? Ans. अनुच्छेद 352 |
Q.2 1975 में आपातकाल की घोषणा किसने की थी? Ans. प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने। |
Q.3 भारत में राष्ट्रीय आपातकाल कितनी बार लगाया गया है? Ans. तीन बार। |
Q.4 पहली बार राष्ट्रीय आपातकाल कब लगाया गया था? Ans. 1962 में चीन के साथ युद्ध के दौरान। |
Q.5 आपातकाल की घोषणा के दौरान नागरिक अधिकारों का क्या होता है? Ans. निलंबित किए जा सकते हैं। |
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Bahut aacha hai