भारत सरकार अधिनियम 1935

🔸ब्रिटिश सरकार ने नवंबर 1927 में (यानी निर्धारित समय से 2 वर्ष पूर्व ही ) नए संविधान में भारत की स्थिति का पता लगाने के लिए “सर जॉन साइमन” के नेतृत्व में 7 सदस्य वैधानिक आयोग के गठन की घोषणा की|

🔸आयोग के सभी सदस्य ब्रिटिश थे इसलिए सभी दल ने इसका बहिष्कार किया|

🔸आयोग ने 1930 में अपनी रिपोर्ट पेश की तथा द्वैध शासन प्रणाली, राज्यों में सरकारों का विस्तार, ब्रिटिश भारत के संघ की स्थापना एवं सांप्रदायिक निर्वाचन व्यवस्था को जारी रखने आदि की सिफारिशें की|

🔸आयोग के प्रस्ताव पर विचार करने के लिए ब्रिटिश सरकार ने  ब्रिटिश भारत और भारतीय रियासतों के प्रतिनिधियों के साथ तीन गोल  मेज में सम्मेलन किए|

🔸इस सम्मेलन में हुई चर्चा के आधार पर संवैधानिक सुधारों पर एक श्वेत-पत्र तैयार किया गया जिसे विचार के लिए ब्रिटिश संसद की संयुक्त प्रवर समिति के समक्ष रखा गया|

🔸इस समिति की सिफारिशों को कुछ संशोधनों के साथ भारत परिषद अधिनियम 1935 में शामिल कर दिया गया|

 सांप्रदायिक अवार्ड

🔸ब्रिटिश प्रधानमंत्री रैमजे मैकडोनाल्ड ने अगस्त 1932 में अल्पसंख्यकों के प्रतिनिधित्व पर एक योजना की घोषणा की| जिसे कम्युनल अवार्ड या सांप्रदायिक अवार्ड के नाम से जाना है|

🔸अवार्ड ने न सिर्फ मुस्लिमों, सिख, ईसाई, यूरोपियनों और आंग्ल- भारतीयों के लिए अलग निर्वाचन व्यवस्था का विस्तार किया बल्कि इसे दलितों के लिए भी विस्तार कर दिया गया|

 भारत शासन अधिनियम 1935

🔸 यह अधिनियम भारत में पूर्ण उत्तरदायी सरकार के गठन में एक मील का पत्थर साबित हुआ| यह एक लंबा और विस्तृत दस्तावेज था, जिसमें 321 धाराएं और 10 अनुसूचियां थी|

 अधिनियम की विशेषताएं

🔸 इसमें अखिल भारतीय संघ की स्थापना की, जिसमें राज्य और रियासतों को एक इकाई की तरह माना गया|

🔸अधिनियम ने केंद्र और इकाईयों के बीच तीन सूचियों – संघीय सूची ( 59 विशेष ), राज्य सूची (54 विषय) और समवर्ती सूची (दोनों के लिए 36 विशेष ) के आधार पर शक्तियों का बंटवारा कर दिया|

🔸शक्तियां वायसराय को दे दी गई| हालांकि में संघीय व्यवस्था कभी अस्तित्व में नहीं आई क्योंकि देशी रियासतों में इसमें शामिल होने से इनकार कर दिया था|

🔸इसने दलित जातियों, महिलाओं मजदूर वर्ग के लिए अलग से निर्वाचन की व्यवस्था कर सांप्रदायिक प्रतिनिधित्व व्यवस्था का विस्तार किया|

🔸इसने भारत शासन अधिनियम 1858 द्वारा स्थापित भारत परिषद को समाप्त कर दिया, इंग्लैंड में भारत सचिव को सलाहकारों की टीम मिल गई|

🔸इसने मताधिकार का विस्तार किया लगभग 10% जनसंख्या को मत का अधिकार मिल गया|

🔸इसके अंतर्गत देश की मुद्रा और साख पर नियंत्रण के लिए भारतीय रिजर्व बैंक की स्थापना की गई|

🔸इसने न केवल संघीय लोक सेवा आयोग की स्थापना की बल्कि प्रांतीय सेवा आयोग और दो या अधिक राज्यों के लिए संयुक्त सेवा आयोग की स्थापना भी की|

🔸इसके तहत 1937 में संघीय न्यायालय की स्थापना हुई|

भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947

🔸20 फरवरी 1947 को ब्रिटिश प्रधानमंत्री क्लीमेंट एटली ने घोषणा की,  कि 30 जनवरी 1947 में ब्रिटिश शासन समाप्त हो जाएगा|

🔸इसके बाद सत्ता भारतीय हाथों में सौंप दी जाएगी इस घोषणा पर मुस्लिम लीग ने आंदोलन किया और भारत के विभाजन की बात कही|

🔸3 जून 1947 को ब्रिटिश सरकार ने फिर स्पष्ट किया कि 1946 में गठित संविधान सभा द्वारा बनाया गया संविधान उन क्षेत्रों में लागू नहीं होगा जो इसे स्वीकार नहीं करेंगे|

🔸उसी दिन 3 जनवरी 1947 को वायसराय लॉर्ड माउंटबेटन ने विभाजन की योजना पेश की जिसे माउंटबेटन योजना कहा गया|

🔸इस योजना को कांग्रेस और मुस्लिम ने स्वीकार कर लिया है इस प्रकार भारतीय स्वतंत्रता अधिनियम 1947 बनाकर उसे लागू कर दिया गया|

 अधिनियम की विशेषताएं

🔸इसने भारत में ब्रिटिश राज्य समाप्त कर 15 अगस्त 1947 को इसे स्वतंत्र और संप्रभु राष्ट्र घोषित कर दिया |

🔸भारत का विभाजन कर दो स्वतंत्र डोमिनयनो- संप्रभु राष्ट्र भारत और पाकिस्तान का सृजन किया, जिन्हें ब्रिटिश राष्ट्रमंडल से अलग होने की स्वतंत्रता थी|

🔸इसने वायसराय का पद समाप्त कर दिया और उसके स्थान पर दोनों डोमिनयन राज्यों में गवर्नर -जनरल पद का सृजन किया,

🔸जिसकी नियुक्ति नए राष्ट्रीय की कैबिनेट की सिफारिश पर ब्रिटेन के ताज को करनी थी|इन पर ब्रिटेन की सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होना था|

🔸इस कानून ने ब्रिटेन में भारत सचिव का पद समाप्त कर दिया| इसकी सभी शक्तियां राष्ट्रमंडल मामलों के राज्य सचिव को स्थानांतरित कर दी गई|

🔸इसमें 15 अगस्त 1947 से भारतीय रियासतों पर ब्रिटिश संप्रभुता की समाप्ति की घोषणा की|इसके साथ ही आदिवासी क्षेत्र समझौता संबंधों पर भी ब्रिटिश हस्तक्षेप समाप्त हो गया|

🔸इसने शाही उपाधि से ‘भारत का सम्राट’ शब्द समाप्त कर दिया|

🔸इसने भारत के राज्य सचिव द्वारा सिविल सेवा में नियुक्तियां करने और पदों में आरक्षण करने की प्रणाली समाप्त कर दी|

🔸15 अगस्त 1947 से पूर्व के सिविल सेवा कर्मचारियों को वही सुविधाएं मिलती रही, जो उन्हें पहले से प्राप्त थी|

🔸14-15 अगस्त 1947 की मध्य रात्रि को भारत में ब्रिटिश शासन का अंत हो गया और समस्त शक्तियां दो नए डोमिनियनों -भारत और पाकिस्तान को स्थानांतरित कर दी गई|

🔸लॉर्ड माउंटबेटन डोमिनयन भारत,  के प्रथम गवर्नर- जनरल बने| उन्होंने जवाहरलाल नेहरू को भारत के पहले प्रधानमंत्री के रूप में शपथ दिलाई|

🔸1946 में बने संविधान सभा को स्वतंत्र भारतीय डोमिनियन की संसद के रूप में स्वीकार कर लिया गया|

 

 

 

 

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