भारत के पड़ोसी देशों के बीच सम्बन्ध

UNSC में भारत-रूस सहयोग

 

◾️हाल ही में भारत और रूस के बीच नई दिल्ली में संयुक्त राष्ट्र से संबंधित मुद्दों पर द्विपक्षीय परामर्श वार्ता आयोजित की गई।

◾️रूस फरवरी, 2022 में संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की अध्यक्षता करेगा।

◾️यह चर्चा ‘नाटो’ द्वारा पूर्व की ओर संभावित विस्तार को लेकर रूस और यूक्रेन के बीच तनाव की पृष्ठभूमि में हुई।

◾️इससे पहले 21वाँ भारत-रूस वार्षिक शिखर सम्मेलन नई दिल्ली में हुआ था, जिसमें भारत के विदेश और रक्षा मंत्रियों की उनके रूसी समकक्षों के साथ पहली ‘2+2 मंत्रिस्तरीय वार्ता’ भी शामिल थी।

◾️संयुक्त राष्ट्र और बहुपक्षीय मंचों में सहयोग का क्या महत्त्व है?

◾️दोनों पक्षों ने विश्व मामलों में संयुक्त राष्ट्र द्वारा निभाई गई केंद्रीय समन्वय की भूमिका के साथ बहुपक्षवाद को फिर से मज़बूत करने के महत्त्व पर विशेष बल दिया।

◾️रूस ने दो वर्ष के कार्यकाल के लिये भारी बहुमत के साथ संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के एक अस्थायी सदस्य के रूप में भारत के चुनाव का स्वागत किया।

◾️रूस एक सुधारित संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और परमाणु आपूर्तिकर्त्ता समूह की स्थायी सदस्यता के लिये भारत की उम्मीदवारी का समर्थन करता है।

◾️दोनों पक्ष समकालीन वैश्विक वास्तविकताओं को प्रतिबिंबित करने और अंतर्राष्ट्रीय शांति एवं सुरक्षा के मुद्दों से निपटने में इसे अधिक प्रतिनिधित्व, प्रभावी और कुशल बनाने हेतु संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के व्यापक सुधार का समर्थन करते हैं।

◾️दोनों पक्ष BRICS के भीतर सहयोग बढ़ाने हेतु प्रतिबद्ध हैं।

◾️रूस ने 9 सितंबर, 2021 को XIII ब्रिक्स शिखर सम्मेलन की मेज़बानी और नई दिल्ली घोषणा को अपनाने सहित 2021 में ब्रिक्स की सफल अध्यक्षता पर भारत को बधाई दी।

◾️न्यू डेवलपमेंट बैंक (एनडीबी) की भूमिका को दोनों पक्षों द्वारा कोविड-19 महामारी के स्वास्थ्य और आर्थिक प्रभाव सहित विकास चुनौतियों को संबोधित करने के लिये महत्त्वपूर्ण माना जाता है,

  • और एनडीबी को अधिक सामाजिक बुनियादी ढाँचा परियोजनाओं, डिजिटल प्रौद्योगिकियाँ के वित्तपोषण की संभावना का पता लगाने हेतु प्रोत्साहित किया जाता है।

◾️भारत और रूस अपने संचालन के पिछले दो दशकों में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की उपलब्धियों को पहचानते हैं और मानते हैं कि इसमें एससीओ (SCO) सदस्य देशों के बीच आगे की बातचीत की काफी संभावनाएँ हैं।

◾️वे विशेष रूप से एससीओ की क्षेत्रीय आतंकवाद विरोधी संरचना की कार्यक्षमता में सुधार करके आतंकवाद, उग्रवाद, मादक पदार्थों की तस्करी,

  • सीमा पार संगठित अपराध और सूचना सुरक्षा खतरों का मुकाबला करने की प्रभावशीलता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने का इरादा रखते हैं।

◾️वे वर्ष 2023 में G-20 की भारत की अध्यक्षता को ध्यान में रखते हुए वैश्विक और पारस्परिक हित के मुद्दों पर G-20 प्रारूप एवं तीव्रता के साथ सहयोग करने के लिये भी दृढ़ हैं।

◾️दोनों पक्ष इस बात पर सहमत हैं कि यह हमारे महासागरों, सूचना और बाह्य अंतरिक्ष सहित वैश्विक साझाकर्त्ताओं की सुरक्षा,

  • पारदर्शिता तथा अंतर्राष्ट्रीय कानून को बनाए रखने के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिये।

रूस-यूक्रेन तनाव पर UNSC में भारत का रुख:

◾️यूक्रेन पर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) की बैठक में भारत ने सभी के सुरक्षा हितों को ध्यान में रखते हुए स्थिति को तत्काल नियंत्रित करने का भी आह्वान किया।

◾️भारत ने शांत कूटनीति और रूस-यूक्रेन तनाव के शांतिपूर्ण समाधान का आह्वान किया।

◾️”शांत कूटनीति” एक राज्य द्वारा दूसरे राज्य के व्यवहार को विचारशील वार्ता या कार्यों के माध्यम से प्रभावित करने के प्रयासों को संदर्भित करती है।

◾️भारत उन तीन देशों में से एक था (केन्या एवं गैबॉन अन्य दो देश थे) जिसने यूक्रेन पर चर्चा की जाएगी या नहीं, इस पर कार्यविधिक मतदान से स्वयं को अलग रखा था।

◾️अमेरिका ने बैठक प्रारंभ की और नौ अन्य देशों ने इस वार्ता को आयोजित करने के लिये मतदान किया।

◾️भारत ने जुलाई 2020 के युद्धविराम, वर्ष 2014 के मिंस्क समझौते और नॉरमैंडी प्रक्रिया के लिये अपना समर्थन दोहराया।

◾️नॉरमैंडी प्रक्रिया रूस, यूक्रेन, जर्मनी और फ्राँस के बीच हुई वार्ताओं को संदर्भित करती है, जो कि वर्ष 2014 से प्रारंभ हुईं, जब रूस ने क्रीमिया पर कब्ज़ा कर लिया था।

◾️भारत ने शांत कूटनीति का भी आह्वान किया क्योंकि अमेरिका के नेतृत्त्व में पश्चिमी देश और रूस सार्वजनिक रूप से कठोर रुख अपना रहे हैं।

◾️भारत यूक्रेन में रह रहे छात्रों सहित 20,000 से अधिक भारतीय नागरिकों की सुरक्षा को लेकर चिंतित है।

आगामी योजना

युद्ध की किसी भी आशंका को खत्म करने के लिये भारत समेत उन तमाम देशों को आगे आना चाहिये, जो दुनिया में शांति की स्थापना के लिये अपनी आवाज़ को बुलंद करते रहे हैं।

अपने संबंधों के पुनरुद्धार की शुरुआत करने के लिये भारत और रूस व्यापक आर्थिक सहयोग हेतु एक स्पष्ट मार्ग बनाने और भारत-प्रशांत पर एक-दूसरे की अनिवार्यता की बेहतर समझ पैदा करने पर ध्यान केंद्रित करेंगे।

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