🔸सैधव सभ्यता के पश्चात भारत में जिस सभ्यता का आरंभ हुआ उसे वैदिक अथवा आर्य सभ्यता के नाम से जाना जाता है|
🔸वैदिक शब्द वेद से बना है वेद का अर्थ ‘ ज्ञान ‘ होता है भारत में संभव संस्कृति के पश्चात जिस नवीन सभ्यता का विकास हुआ उसे वैदिक सभ्यता या आर्य सभ्यता के नाम से जाना जाता है|
- ‘आर्य ‘शब्द भाषा सूचक है जिसका अर्थ है सृष्टि आप कुलीन क्लासिक किए संस्कृति में आर्य शब्द का अर्थ एक उत्तम व्यक्ति आर्यों का इतिहास मुख्यता वेदों से ज्ञात होता है |
🔸 वैदिक संस्कृति के निर्माता आर्य थे वैदिक संस्कृति में आर्य शब्द का अर्थ -श्रेष्ठ , उत्तम, अभिजात, कुलीन तथा उत्कृष्ट होता था|
🔸 सर्वप्रथम मैक्समूलर ने 1853 ई. में आर्य शब्द का प्रयोग एक श्रेष्ठ जाति के आशय से किया था, आर्यों की भाषा संस्कृत थी|
🔸सामान्यता वैदिक साहित्य की रचना का श्रेय कार्यों को दिया जाता है आर्यों के मूल निवास स्थान को लेकर मतभेद है
प्रमुख इतिहासकारों ने इस पर अलग-अलग विचार व्यक्त किए हैं |
आर्यों का मूल निवास स्थान विद्वान
कश्मीर अथवा हिमालय क्षेत्र एल. ड़ी. कल्ल
ब्रम्हार्षि देश पं. गंगानाथ झा
सप्त-सैंधव प्रदेश डॉ. अविनाश चंद्रा दास
देविका प्रदेश डी. एस. त्रिवेदी
दक्षिण रूस गार्डन चाइल्ड
मध्य एशिया मैक्समूलर
उत्तरी ध्रुव पं. बाल गंगाधर तिलक
तिब्बत स्वामी दयानंद सरस्वती
जर्मनी हर्ट एवं पेंका
हंगरी गाइल्स
नोट :- अधिकांश विद्वान प्रो. मैक्समूलर के विचारों से सहमत हैं कि आर्य मूल रूप से मध्य एशिया के निवासी थे|
वैदिक काल का विभाजन :-
वैदिक काल को मुख्यता दो भागों में विभाजित किया गया है |
◾️ऋग्वैदिक / पूर्व वैदिक काल -(1500 ई. पू.-1000 ई. पू.)
◾️उत्तर वैदिक काल – ( 1000 ई. पू. – 600 ई. पू.)
🔸 सिंधु सभ्यता के विपरीत वैदिक सभ्यता मुख्यता ग्रामीण थी, आर्यों का प्रारंभिक जीवन पशु चारण पर आधारित था तथा कृषि करते थे|
🔸 संयुक्त राष्ट्र शैक्षिक, वैज्ञानिक और सांस्कृतिक संगठन (यूनेस्को) द्वारा ऋग्वेद को विश्व मानव धरोहर के साहित्य में शामिल किया गया है|
🔸ऋग्वैदिक काल का इतिहास पूर्णतया ऋग्वेद से ज्ञात होता है |ऋग्वेद में लोहे का उल्लेख नहीं है| ऋग्वेद में अफगानिस्तान की 4 नदियों क्रूमा, कुभा , गोमती और सुवास्तु का उल्लेख मिलता है |
🔸ऋग्वेद में सप्त सैंधव प्रदेश की 7 नदियों का उल्लेख मिलता है यह नदियां हैं – सरस्वती ,विपाशा ,पुरुषडी , वितस्ता, सिंधु ,शुतुद्री तथा अस्किनी हैं |
🔹ऋग्वेद में यमुना नदी का तीन बार जबकी गंगा नदी का एक बार उल्लेख हुआ है| इसमें कश्मीर की एक नदी मरुदृवृधाका उल्लेख मिलता है |
सतलज से यमुना तक का क्षेत्र ब्रह्मावर्त कहलाता था, इसे ऋग्वैदिक सभ्यता का केंद्र माना जाता है|
🔸ऋग्वेद में सिंधु नदी का सर्वाधिक बार उल्लेख हुआ है,जबकी ऋग्वैदिक आर्यों की सबसे पवित्र नदी सरस्वती थी | जिसे ‘मातेतमा ‘, ‘देवीतमा ‘ एवं नदितमा ( नदियों में प्रमुख ) कहा गया हैं |
🔸सिंधु नदी को उसके आर्थिक महत्व के कारण ‘ हिरण्यनी ‘, कहा गया हैं, तथा इसके गिरने की जगह ‘परावत ‘ अर्थात अरब सागर बताई गयी हैं | गंगा -यमुना के दोआब एवं उसके समीपवर्ती क्षेत्रों को आर्यो ने ब्रह्मर्षि देश कहा |
🔸 ऋग्वेद में गंगा नदी का एक बार जबकी यमुना नदी का तीन बार नाम लिया गया है|
🔸आर्यो ने हिमालय और विंध्याचल पर्वतों के बीच का नाम ‘मध्य देश ‘ रखा | कालांतर में आर्यो ने सम्पूर्ण उत्तर भारत में अपना विस्तार कर लिया, जिसे ‘आर्यावर्त ‘ कहा जाता था|
🔸1400 ई. पू. के बोगजकोई ( एशिया माइनर ) के अभिलेख में ऋग्वैदिक काल के देवताओं ( इंद्रा, वरुण, मित्र तथा नासत्य ) का उल्लेख मिलता हैं |
वैदिक साहित्य को ‘ श्रुति ‘ भी कहा जाता हैं |श्रुति ‘ का शाब्दिक अर्थ – सुनकर प्राप्त किया जाने वाला ज्ञान |
सामाजिक स्थिति
🔸 ऋग्वैदिक समाज पितृसत्तात्मक था, सामाजिक संगठन का आधार गोत्र या जन्ममूलक था |
🔸🔸समाज की सबसे छोटी एवं आधारभूत इकाई परिवार या कुल थी, जिसका मुखिया पिता होता था, जिसे ‘कुलप ‘कहा जाता था| पितृसत्तात्मक समाज के होते हुए भी महिलाओं को यथोचित सम्मान प्राप्त था|
भारतीय साहित्य में वेद सर्वाधिक प्राचीन हैं |यह चार हैं – ◾️ऋग्वेद
◾️सामवेद
◾️यजुर्वेद
◾️अथर्ववेद
ऋग्वेद, यजुर्वेद, तथा सामवेद को ‘वेदत्रयी ‘ या ‘ त्रयी ‘कहा जाता हैं | प्रत्येक वेद के चार भाग होते हैं – संहिता, ब्राह्मण ग्रंथ, आरण्यक और उपनिषद |ऋग्वेद में कुल 10 मंडल तथा 1028 सूक्त हैं | 1017 सूक्त साकल में तथा 11 सूक्त बालखिल्य में हैं |ऋग्वेद के 2 से 7 तक के मंडल प्राचीन माने जाते हैं |