विजयनगर साम्राज्य की स्थापना हरिहर तथा बुक्का ने 1326 ई में की थी| उनके पिता संगम के नाम पर उनका वंश संगम वंश कहलाया| हरिहर और बुक्का काम्पिली राज्य में मंत्री थे| मुहम्मद तुगलक ने जब काम्पिली को विजिट किया तब हरिहर और बुक्का को बंदी बना लिया| इन्होने इस्लाम धर्म स्वीकार कर लिया| विजयनगर साम्राज्य Pdf
संगम वंश(1336-1485 ई)
संगम वंश की स्थापना 1336 ई हुई तथा हरिहर तथा बुक्का के पिता संगम के नाम पर इस वंश स्थापना हुई|
हरिहर प्रथम
हरिहर-1 ने 1352-53 ई में मदुरा विजय हेतु दो सेनाएं भेजी एक कुमार सवाल के नेतृत्व में तथा दूसरी कुमार कंपन के नेतृत्व में| कुमार कंपन अड्यार ने मदुरा को जीतकर उसे विजयनगर में शामिल कर लिया| उसकी पत्नी गंगादेवी ने अपने पति की विजय का अपने ग्रन्थ मदुरा विजयम में संजीव वर्णन किया हैं| कुमार कंपन बुक्का राय प्रथम का पुत्र था|
हरिहर द्वितीय
बुक्का की मृत्यु 1377 ई में हुई| बुक्का की मृत्यु के पश्चात् उसका पुत्र हरिहर द्वितीय(1377-1404 ई) सिंहासन पर बैठा| उसने महाराजाधिराज की उपाधि धारण की| उसने कनारा, मैसूर, त्रिचनापल्ली, कांच आदि प्रदेशों को जीता और श्रीलंका के राजा से राजस्व वसूल किया| हरिहर द्वितीय की सबसे बड़ी सफलता पश्चिम में बहमनी राज्य से बेलगांव और गोवा छीनना था| वह शिव के विरुपाक्ष रूप का उपासक था|
सालुव वंश(1485-1505 ई)
चंद्रगिरि के सामंत नरसिंह सालुव ने संगम वंश के अंतिम शासक प्रौढ़ देवराय को पदच्युत करके 1485 ई में सिंहासन पर अधिकार कर लिया तथा एक नवीन राजवंश की स्थापना की| और यह राजवंश सालुव वंश कहलाया| सालुव वंश का अंतिम शासक नरसिंह सालुव का पुत्र इम्माडि नरसिंह था|
तुलुव वंश(1505-1570 ई)
वीर नरसिंह ने नरसिंह सालुव के पुत्र इम्माडि नरसिंह को पदच्युत करके सिंहासन पर अधिकार कर लिया एवं तुलुव वंश की स्थापना की| 1509 ई में वीर नरसिंह की मृत्यु के पश्चात उसका अनुज कृष्णदेव सिंहासन पर बैठा| कृष्णदेव का उत्तराधिकारी उसका भाई अच्युतदेव राय हुआ, जिसने 1529-1542 ई तक शासन किया|
कृष्णदेव राय
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