भारतीय स्थापत्य कला का इतिहास की उत्पत्ति हड़प्पा काल से मानी जाती है। भारत के स्थापत्य की जड़ें यहाँ के इतिहास, दर्शन एवं संस्कृति में निहित हैं। भारत की वास्तुकला यहाँ की परम्परागत एवं बाहरी प्रभावों का मिश्रण है।स्थापत्य व वास्तुकला के दृष्टिकोण से हड़प्पा संस्कृति तत्कालीन संस्कृतियों से काफ़ी ज़्यादा आगे थी।
भारतीय स्थापत्य एवं वास्तुकला की सबसे ख़ास बात यह है कि इतने लंबे सqमय के बावजूद इसमें एक निरंतरता के दर्शन मिलते हैं। इस मामले में भारतीय संस्कृति अन्य संस्कृतियों से भिन्न है।
भारतीय स्थापत्य कला का इतिहास
भारतीय स्थापत्य कला का सबसे प्रारंभिक ज्ञात हड़प्पा सभ्यता के शहरों में पाए जाते हैं| इन शहरों में सड़कों की व्यवस्था योजना, सार्वजनिक स्नानागार और मंदिरों के अवशेष पाए गए हैं| इन अवशेषों से पता चलता हैं की हड़प्पा सभ्यता के लोग उन्नत स्थापत्य तकनीक जानते थे|
प्राचीन स्थापत्य कला
भारतीय स्थापत्य कला का विकास प्राचीन काल में जारी भी रहा| इस काल में बौद्ध धर्म और हिंदू धर्म का प्रसार हुआ, जिसका स्थापत्य पर गहरा प्रभाव पड़ा| बौद्ध धर्म के प्रसार के साथ ही स्तूप और चैत्य का निर्माण शुरू हुआ| स्तूप एक गोलाकार या अर्धगोलाकार संरचना हैं, जिसमें बुद्ध की पवित्र अवशेषों को रखा जाता हैं| चैत्य एक धार्मिक भवन हैं, जिसमे बुद्ध की प्रतिमा या चित्र रखे जाते हैं|
हिंदू धर्म के प्रसार के साथ ही मंदिरों का निर्माण शुरू हुआ| हिंदू मंदिरों की वास्तुकला में कई तत्वों का समावेश होता हैं, जैसे – गर्भगृह, मंडप, स्तंभ, तोरण और शिखर|
कुछ प्रमुख भारतीय स्थापत्य स्थल
- हड़प्पा सभ्यता के शहर, जैसे की मोहनजोदड़ो और हड़प्पा
- बौद्ध स्तूप, जैसे- साँची, अमरावती और एलोरा
- हिंदू मंदिर, जैसे- कांचीपुरम, खजुराहो और अमृतसर
मध्यकाल का स्थापत्य कला
मध्यकाल में भारतीय स्थापत्य कला में कई महत्वपूर्ण बदलाव हुए| इस काल में मुस्लिम धर्म का प्रसार हुआ, जिसका स्थापत्य पर गहरा प्रभाव पड़ा| मुस्लिम स्थापत्यों में गुंबद, मीनार और मेहराब जैसे तत्वों का प्रमुख स्थान होता हैं| इस काल में कई महत्वपूर्ण मुस्लिम स्थापत्य स्थलों का निर्माण हुआ, जैसे की ताजमहल, क़ुतुब मीनार और लाल किला|
आधुनिक काल का स्थापत्य कला
आधुनिक काल में भारतीय स्थापत्य कला में पश्चिमी स्थापत्य से भी प्रभावित हुई हैं| इस काल में कई आधुनिक शैली के स्थापत्य स्थलों का निर्माण हुआ हैं, जैसे- इंडिया गेट, राष्ट्रपति भवन और दिल्ली हवाई अड्डा|
चंदेल स्थापत्य कला- मध्य प्रदेश के छत्तरपुर जिले में स्थित खजुराहो में चंदेल राजाओं द्वारा निर्मित आज भी चंदेल स्थापत्य की उत्कृष्टता का बखान कर रहे हैं| ये मंदिर ग्रेनाइट और लाल बलुआ पत्थर से बने हैं| इन मंदिरों का निर्माण 950-1050 ई के बीच कराया गया था| यहां के मंदिरों में कंदरिया महादेव मंदिर सर्वोत्तम हैं| इस मंदिर का निर्माण संभवत: विद्याधर (11 वीं शताब्दी) ने करवाया था|
खजुराहो में 85 मंदिरों के निर्माण का उल्लेख मिलता हैं| ये मंदिर वैष्णव, शैव, शाक्त एवं जैन धर्म से संबंधित हैं| यहां का मातंगेश्वर मंदिर भगवान शिव को समर्पित हैं| यह मंदिर संभवत: राजा धंग के काल में निर्मित हुआ| इन मंदिरों की निर्माण शैली नागर हैं| किसी-किसी मंदिर में पंचायतन शैली अपनाई गयी हैं| चौसठ योगिनी, ब्रह्म, दूल्हादेव मंदिर, लक्ष्मण, विश्वनाथ मंदिर, जिननाथ का मंदिर आदि|
- यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में शामिल म प्र के ऐतिहासिक स्थलों में खजुराहो का मंदिर, भीमबेटका की गुफाएं एवं सांची का स्तूप शामिल हैं|
दशावतार मंदिर- दशावतार मंदिर देवगढ़ उ प्र के (ललितपुर) में स्थित है तथा यह मंदिर गुप्तकालीन हैं| प्राचीन भारत में गुप्त कला से संबंधित गुफा चित्रांकन के केवल दो उदाहरण उपलब्ध हैं| इनमे से एक अजंता की गुफाओं में किया गया चित्रांकन हैं| दूसरा उदाहरण बाघ की गुफाएं हैं, जिनकी तिथि गुप्तकालीन हैं| इन गुफाओं के चित्र लोक जीवन से संबंधित है तथा अजंता गुफाओं के चित्र बौद्ध धर्म से संबंधित हैं|
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जैन मंदिर- माउंट आबू के दिलवाड़ा जैन मंदिर संगमरमर के बने हैं, जिनका निर्माण गुजरात के चालुक्य (सोलंकी) शासक भीमदेव प्रथम के सामंत विमलशाह ने करवाया था|