◾️जानते हैं राजा जयचंद कौन थे?
🔸राजा जयचंद गढ़वाल जाति के एक राजा थे। उनके पिता का नाम विजय चंद्र था और इन के दादा का नाम गोविंद चंद्र था। राजा जयचंद उत्तर भारत की गढ़वाल वंश से थे।
🔸राजा जयचंद 21 जून 1170 ईस्वी में राजा बने थे और शासनकाल शुरू किया था। राजा का शासनकाल 1194 तक रहा।
🔸राजा जयचंद के पिता विजय चंद्र ने अपने जीवन काल में अपने पुत्र जयचंद्र को कन्नौज का राज काल सौंप दिया था।
🔸महाकवि पृथ्वीराज रासो के अनुसार दिल्ली के राजा अंगद पानी की पुत्री के पुत्र थे जयचंद। राजा जयचंद के दो बच्चे थे बेटा हरिश्चंद्र और बेटी संयोगिता।
🔸12 वीं सदी में कन्नौज के राजा जयचंद गद्दार थे या नहीं? सदियों से सवाल उठता रहा है राजा पृथ्वीराज चौहान के दरबारी कवि चंद्रबरदायी के काव्य ‘ पृथ्वीराज रासो ‘ के आधार पर जयचंद गद्दार मान लिए गए|
🔸उन पर आक्रांत मोहम्मद गोरी को आमंत्रित करने का कलंक है| कन्नौज की एक संस्था कई साल से दावा कर रहे हैं कि यह सच नहीं है| अगर कोई साबित कर दे तो उसे 5 लाख रुपए इनाम दिए जाएंगे इस बार भी यह ऐलान किया गया है|
🔸जयचंद की जयंती शिवरात्रि मनाई जाती है| कन्नौज के बाशिंदे जयचंद को प्रतापी सम्राट मानते हैं|
🔸सन 1170 से 1194 के बीच कन्नौज में राज्यासीन रहे जयचंद्र की जयंती पर यशगाथा गाई जाती है|
◾️इनाम 51 हजार से 5 लाख पहुंचा
🔸कान्याकुब्ज सेवा समिति के संयोजक नवाब बताते हैं कि कई संगठनों के साथ मिलकर 2005 से इस आयोजन की शुरुआत की गई, प्रतिमा की स्थापना की गई पहली बार ‘ गद्दार’ साबित करने पर ₹51000 की घोषणा हुई |
🔸उसके बाद इसे एक लाख फिर डेढ़ लाख, दो लाख अब ₹500000 किया है 16 साल में अब तक किसी ने भी यहां आकर प्रमाणित दावा नहीं किया|
🔸लखनऊ, कानपुर, गाजियाबाद, प्रयागराज, फर्रुखाबाद, इटावा बरेली, वाराणसी के अलावा उत्तराखंड, बिहार, ओड़िसा तक के 100 से ज्यादा लोग संपर्क कर चुके पर साबित करने ना आए|
इतिहास में कोई तथ्य दस्तावेज उपलब्ध नहीं है जिससे राजा जयचंद को मोहम्मद गोरी को आमंत्रित करने वाला माना जा सके| राजपूतों के इतिहास पर सर्वाधिक काम करने वाले कर्नल टॉड ने भी इस का कहीं उल्लेख नहीं किया –
डॉ. ओमजी उपाध्याय ( इंडियन काउंसिल ऑफ हिस्टोरिकल रिसर्च के डायरेक्टर)
◾️पृथ्वीराज चौहान से दुश्मनी के कारण फैलाया गया भ्रम
🔸जयंती का आयोजन करने वाली कान्यकुब्ज सेवा समिति के संयोजक नवाब सिंह कहते हैं कि यह बिल्कुल निराधार है कि राजा जयचंद गद्दार थे,
- वह प्रतापी सम्राट थे उनके कार्यकाल में कन्नौज के साम्राज्य का विस्तार हुआ|
🔸पृथ्वीराज चौहान ने उनकी बेटी संयोगिता का हरण किया इसलिए वह नाराज थे| इसी कारण से मोहम्मद गौरी से लड़ाई में राजा जयचंद ने मदद नहीं की थी|
🔸यह गलत है कि पृथ्वीराज को हराने के लिए जयचंद में गौरी से हाथ मिलाया था|
🔸 कान्यकुब्ज समिति का कहना हैं कि कोई भी ऐतिहासिक तथ्यों के साथ में उन्हें गद्दार साबित करें तो वह संस्था की ओर से ₹500000 का इनाम देंगे कई लोगों के फोन आए पर सबूत लेकर नहीं आए|
◾️गौरी से जंग में गई थी जयचंद की जान
इतिहासकारों ने लिखा है कि जब मुहम्मद गौरी दिल्ली जीत कर कन्नौज की ओर बढ़ा तो इटावा के पास जयचंद और उसकी सेना के बीच युद्ध हुआ|
इस युद्ध में जयचंद वीरगति को प्राप्त हुए, उन्होंने गौरी का साथ दिया होता तो यह युद्ध ना होता|